Hindi, asked by harshitaswal031, 1 month ago

क्र.) मनुष्य निंदा का पात्र कब और कैसे बन जाता है कबीर
की सखियों के आधार पर बताए ।​

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Answered by dhankarsavitri
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Answer:

कबीर अपने दोहे में उस घास तक की निंदा करने से मना करते हैं जो हमारे पैरों के तले होती है। कबीर के दोहे में 'घास' का विशेष अर्थ है। ... कबीर के दोहे का संदेश यही है कि व्यक्ति या प्राणी चाहे वह जितना भी छोटा हो उसे तुच्छ समझकर उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए। हमें सबका सम्मान करना चाहिए।

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