कोरोना एक वैश्विक महामारी पर सरल रूप में पाँच वाक्य लिखे संस्कृत मे
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का बुलेटिन कहता है कि पैंडेमिक (वैश्विक महामारी) दुनियाभर में फैला संक्रामक अथवा अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर व्यापक क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों जद में लेने वाला रोग है। पिछली चार वैश्विक महामारियां इन्फ्लुएंजा (फ्लू) वायरस के कारण हुई हैं, इसलिए अब तक का चिकित्सीय विमर्श फ्लू महामारी पर हुआ है। डब्ल्यूएचओ ने इस साल कहा, “इन्फ्लुएंजा स्ट्रेन का एक नया, बेहद संक्रामक और वायुजनित विषाणु कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को निश्चित तौर अपनी गिरफ्त में लेगा। नई वैश्विक महामारी आएगी इसमें संदेह नहीं है, बस देखना यह है कि यह कब आती है।” जब डब्ल्यूएचओ ने यह चेतावनी दी थी, तब किसी को नए कोरोनोवायरस की गंभीरता का अंदाजा नहीं था।
2003 में सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) और 2012 में मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एमईआरएस) भी कोरोनावायरस के प्रकोप का नतीजा थे, लेकिन इन्हें वैश्विक महामारी घोषित नहीं किया गया। नए काेरोनावायरस की क्षमता और प्रभाव िकतना होगा, इसका अब तक पता नहीं चला है। 2009 में स्वाइन फ्लू की पिछली महामारी के दौरान रिप्रॉडक्शन नंबर (आर जीरो) 1.3 से 1.8 था। यह नंबर बताता है एक संक्रमित कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है। कोविड-19 के मामले में यह नंबर 2.6 है। मेडिकल आरकाइव्स में प्रकाशित ग्लासगो के हेल्थ इंस्टीट्यूट, यूनाइटेड किंगडम के लैंकेस्टर और अमेरिका के फ्लोरिडा के तीन शोधार्थियों का अध्ययन किसी बीमारी के प्रकोप के वैश्विक महामारी बनने के बीच संबंध स्थापित करता है। वह बताते हैं कि कोरोनावायरस के केंद्र वुहान में कुल प्रभावितों की संख्या 1,90,000 से अधिक होगी।