Hindi, asked by lisa63, 1 year ago

कुरान हाथों में लेके नाबीना एक नमाज़ी
लबों पे रखता था
दोनों आँखों से चूमता था
झुकाके पेशानी यूँ अक़ीदत से छू रहा था
जो आयतें पढ़ नहीं सका
उन के लम्स महसूस कर रहा हो


मैं हैराँ-हैराँ गुज़र गया था
मैं हैराँ हैराँ ठहर गया हूँ


तुम्हारे हाथों को चूम कर
छू के अपनी आँखों से आज मैं ने
जो आयतें पढ़ नहीं सका
उन के लम्स महसूस कर लिये हैं


Explanation of this poem by gulzar in hindi

Answers

Answered by Anonymous
0
Hi I would love to see Ur another device to trigger alarm you are a few of the

lisa63: I hv no other device
Answered by shanaya95
0
sorry I didn't know this
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