कोरोना काल के अनुभव par anuched class 6
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आलेख
कोविड -19 के दौरान अपनी ज़िन्दगी के बारे में बच्चों की वीडियो डायरी
हर बच्चा अपने आप में अलग है | भारत में जिस तरह वे कोरोना वायरस का सामना कर रहे हैं, वह कुछ अलग नहीं है |
पूरे भारत के बच्चों द्वारा
असम की इशिका के लिए ऑनलाइन स्कूल नया अनुभव है।
UNICEF/UNI355820/Panjwani
में उपलब्ध:
English
हिंदी
10 अगस्त 2020
कोविड – 19 ने हमारी ज़िन्दगी में उथल-पुथल मचा दी है | लॉकडाउन, स्कूलों का बंद होना और भौतिक दूरी, इन सबका बच्चों पर गहरा असर पड़ रहा है |
यूनिसेफ ने पूरे देश के बच्चों से इस दौरान घर पर की अपनी दिनचर्या का दस्तावेज़ बनाने को कहा |
स्टे होम डायरी बच्चों के ब्लॉग की एक श्रृंखला है जिसमें उनके द्वारा इस दौरान की परिस्थितियों का किस प्रकार सामना किया जा रहा है और उनकी प्रतिदिन की मनोरंजक गतिविधियों का वर्णन होता है जिससे और बच्चों को भी प्रेरणा मिले |
असम के चाय बागानों से लेकर चेन्नई की झुग्गियों तक, इन वीडियो डायरी में बच्चों द्वारा कोविड – 19 अपने तरीके से सामना किये जाने को दिखाया गया है |
Answer:
कोरोना महामारी से बचाव के लिए राजधानी के स्कूल अभी भी बंद हैं। हालांकि, शिक्षा निदेशालय के निर्देश पर स्कूलों ग्रीष्मकालीन खत्म करते हुए ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी। छात्रों से जुड़ने के लिए स्कूलों की तरफ से विशेष संवाद सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। इस दौरान शिक्षक छात्रों से कोरोना काल के अनुभव भी जानेंगे।.
शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में सभी स्कूलों को निर्देश जारी किया है। इसके तहत स्कूलों को वापस खोलने की कार्ययोजना के मुताबिक विशेषज्ञों की मदद से छात्रों से जुड़ने और उनके कल्याण के लिए विशेष संवाद सत्र का आयोजन किया जा रहा है। इसमें हैप्पीनेस कॉडिनेटर और टीचर डेवलपमेंट कोर्डिनेटर भी शामिल हो रहे थे। आगे भी यह हर सप्ताह ऐसे दो सत्र आयोजित होंगे।
निदेशालय का कहना है कि इस तरह के सत्रों के आयोजन का उद्देशय प्रत्येक छात्र तक शिक्षक की पहुंच सुनिश्चत कराना है। इस दौरान शिक्षक यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि छात्रों ने कोरोना काल में किन परेशानियों का सामना किया, तनाव दूर करने के लिए कैसी-कैसी गतिविधियां अपनाई, पिछले दो महीने कैसे बिताए, ऑनलाइन कक्षाएं कैसी लगती हैं, क्या उन्हें कोई परेशानी है आदि।
इस दुनिया में मनुष्य को कई बार भयंकर महामारियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन वर्तमान में सारी दुनिया को एक ऐसे वायरस का सामना करना पड़ रहा है जिसका केवल नाम सुनकर ही लोगों के मन में डर पैदा हो रहा है। इस दौरान बच्चे और अभिभावक दोनों ही अधिक से अधिक समय घर पर बिता रहे हैं। इसके चलते बच्चों और अभिभावक में जीवन जीने के सलीके में बहुत बदलाव आया है। जैसे घर से ही पढ़ाई करना और घर के अंदर ही खेलकूद करना। ऐसे में बच्चों एवं अभिभावक, दोनों को ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। आनलाइन क्लास के दौरान नेटवर्क न आना और अच्छे से पढ़ाई न हो पाना जैसी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। अभिभावक दोनों ही तरफ से परेशान हैं। इसमें कुछ अभिभावक अब घर से भी अपना काम कर रहे हैं। अभिभावकों को लाकडाउन में भी बच्चों के स्कूल की फीस देनी पड़ी। बावजूद इसके बच्चों की पढ़ाई सही से न हो पाना भी इन कठिनाइयों को बढ़ा ही रहे हैं। हालांकि अब नौवीं से 12वीं तक की कक्षाओं के लिए विद्यालय खुलने लगे हैं। लाकडाउन में बच्चों पर कुछ अच्छा प्रभाव भी देखने को मिला है। इनमें आनलाइन प्रतियोगिता में हिस्सा लेना और घर में कुछ न कुछ सीखने की ललक देखने को मिली है। ऐसे में बच्चों ने आनलाइन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर कला और हुनर का प्रदर्शन भी किया। घर में अधिक समय बिता कर पढ़ाई के अलावा आनलाइन वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर अपने कौशल को बढ़ाने की कोशिश की है। इस दौरान मिले अनुभव जीवन में काम आएंगे। नई बातें, तकनीकी और पढ़न-पाठन के तौर-तरीके आगे भी काम आएंगे।