Hindi, asked by keshavsharma86, 2 months ago

कोरोना काल के बाद विद्यालय में मेरा पहला दिन​

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Answered by lalitabhattad00
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Explanation:

इंदौर/ कोरोना संकट के कारण मध्य प्रदेश के सीबीएसई और एमपी बोर्ड के निजी और सरकारी स्कूल के छात्रों को आखिरकार करीब 7 महीने बाद सोमवार से आंशिक रूप से अपने स्कूल जाने का मौका मिल गया। फिलहाल, कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक के छात्रों को ही परिवार से अनुमति मिलने का बाद अपने डाउट क्लियर करने के लिए ही स्कूल आने दिया जा रहा है। स्कूल पहुंचते ही छात्रों को कोरोना नियम से जुड़े कुछ अलग नज़ारे देखने को मिले।

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इन नियमों के साथ मिला कक्षा में प्रवेश

शहर के सभी स्कूलों में नियमों का पालन कराते हुए सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजिंग के बाद ही छात्रों को कक्षा में प्रवेश मिल सका। कई स्कूलों में छात्रों को कड़े निर्देश दिये गए कि, उन्हें कक्षा की किसी भी चीज यहां तक की इस्तेमाल की जाने वाली टेबल चेयर को भी बैठने के अलावा हाथों से छूने की अनुमति नहीं होगी, न ही कक्षा की कोई अन्य चीज वो छुएंगे, ताकि वो संक्रमण के खतरे से बचे रहें। सभी स्कूलों में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए एक मेज छोड़कर बैठाया गया। शहर के एक निजी स्कूल का कहना है कि, क्योंकि इस बार सत्र काफी देर से शुरु हुआ है, तो हमारा फोकस छात्रों की मुख्य परीक्षा के अनुसार ही तैयारी कराने पर है।

सोमवार सुबह से ही दो-तीन घंटों के लिए शहर के स्कूलों को खोला गया, ताकि छात्र स्कूल पहुंचकर अपनी टीचर्स से डाउट क्लियर कर सकें। इस दौरान सभी स्कूलों में विषयानुसार शिक्षक मौजूद रहे, जिन्होंने छात्रों को पढ़ाई के दौरान होने वाली परेशानियों का समाधान किया। जिन स्कूलाें ने खोले जाने का निर्णय लिया था, उन्होंने छात्रों के स्कूल आने का टाइम टेबल भी पहले ही भेज दिया था। सभी स्कूलों ने अपने हिसाब से अलग-अलग टाइम टेबल के अनुसार कक्षा में छात्रों को पढ़ाया। ऐसा करने से स्कूलों में भीड़ भी नहीं लगी।

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सरकारी स्कूल के मुकाबले निजी स्कूल को मिली छात्रों की गेदरिंग

कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल प्रभा दिनोदरे के मुताबिक, करीब 7 महीनों में अब स्कूल खुले हैं। इसके बाद अपने निर्धारित समय में स्कूल खुलने के बाद सुबह 10 बच्चे पहुंचे। उन्होंने कहा कि, प्रबंधन की ओर से हम पैरेंट्स से संपर्क किया जा रहा है कि, अगर वो अपने बच्चों को किसी तरह का डाउट क्लियर कराने के लए स्कूल भेजना चाहते हैं तो भेज सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि, कल से कक्षाओं में छात्रों की स्ट्रेंथ बढ़े।

प्रिंसिपल के मुताबिक, कोरोना के बीच प्रबंधन की ओर से नया सेशन शुरू किया गया है। स्कूल के बाहर क्रॉस निशान लगाया गया था। एक गार्ड सैनिटाइज और थर्मल स्क्रीनिंग मशीन से स्कूल आने वाले हर छात्र की चैकिंग करेगा, इसके बाद ही अंदर आने की अनुमति होगी। भीतर भी बैग सहित पूरे ऊपर से नीचे तक सैनिटाइज किया गया। इसके बाद दूर से ही सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू होगा।

वहीं, नूतन विद्यालय के प्राचार्य मनोज खोपकर के मुताबिक, सुबह 11 बजे से डाउट क्लीयरिंग क्लास लगनी थी। लेकिन एक भी बच्चा अपने परिजन से सहमति पत्र लेकर स्कूल नहीं पहुंचा। उन्होंने कहा कि, 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को स्कूल आना था। सभी को ग्रुप पर मैसेज कर दिया गया था। यहां पर 9वीं से 12वीं तक 553 बच्चों ने एडमिशन करवाया है, हालांकि आज इनमें से एक भी नहीं आया। उम्मीद है कि आगामी दिनों में छात्रों के आने का सिलसिला शुरु हो जाएगा

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