कोरोना काल में ऑनलाइन एवं दूरस्थ शिक्षा के लाभ और हानि बताते हुए एक अनुच्छेद लिखिए ।
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Explanation:
ऑनलाइन शिक्षा को अपनाने में भारत के उच्च शिक्षण संस्थान (HEI) सुस्त रहे हैं
भारत का उच्च शिक्षा का सेक्टर, ऑनलाइन शिक्षा के पाठ्यक्रम को अपनाने में बहुत सुस्त रहा है. इसीलिए अचानक से ऑनलाइन पढ़ाई की ज़रूरत सामने खड़ी हुई, तो ये सेक्टर पूरी तरह से इसके लिए तैयार नहीं दिख रहा है. 30 जनवरी 2020 तक देश के केवल सात उच्च शिक्षण संस्थान ऐसे थे जिन्होंने यूजीसी (UGC) की 2018 गाइडलाइन्स के अनुसार ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध कराने की इजाज़त ली हुई थी. कोविड-19 की महामारी फैलने से पहले देश के लगभग 40 हज़ार उच्च शिक्षा संस्थानों में से अधिकतर के पास ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करने की अनुमति नहीं थी. इसीलिए, जब केंद्र और राज्य सरकारों ने इन संस्थानों को ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से अपने छात्रों को पढ़ाई कराने का आमंत्रण दिया, तो ये संस्थान इसके लिए तैयार नहीं थे. ये तो मई महीने के मध्य में जाकर वित्त मंत्री ने एलान किया था कि देश की नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) के तहत टॉप के 100 शिक्षण संस्थानों को स्वत: ही ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रम करने की इजाज़त मिल जाएगी. लेकिन, सरकार के इस क़दम से छात्रों के एक छोटे से वर्ग को ही लाभ होगा.
ORF
कोविड-19 के दौर में ऑनलाइन शिक्षा की ज़रूरत और चुनौतियां
13 July 2020
अगर एक भी बच्चा ऑनलाइन शिक्षा से वंचित रह जाता है, तो पढ़ाई का ये माध्यम अन्यायपूर्ण होगा. केंद्र और राज्य सरकारों को ये प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए कि वो आगे चलकर सभी शिक्षण संस्थानों को ब्रॉडबैंड सेवा और ऑनलाइन शिक्षा के लिए उचित यंत्र मुहैया कराएंगे.
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24 मार्च को कोविड-19 रोकथाम के लिए जब देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया. तो, उसके तुरंत बाद राज्यों की सरकारों ने स्कूली शिक्षा को ऑनलाइन करने का प्रावधान शुरू कर दिया. इसमे एनजीओ, फ़ाउंडेशन और निजी क्षेत्र की तकनीकी शिक्षा कंपनियों को भी भागीदार बनाया गया. इन सब ने मिककर शिक्षा प्रदान करने के लिए संवाद के सभी उपलब्ध माध्यमों का इस्तेमाल शुरू किया. इसमें टीवी, डीटीएच चैनल, रेडियो प्रसारण, व्हाट्सऐप और एसएमस ग्रुप और प्रिंट मीडिया का भी सहारा लिया गया. कई संगठनों ने तो नए अकादमि वर्ष के लिए किताबें भीं वितरित कर दीं. स्कूली शिक्षा की तुलना में देखें, तो उच्च शिक्षा का क्षेत्र इस नई चुनौती से निपटने के लिए बहुत ही कम तैयार था.
एजुकेशन और इमरजेंसी ऑनलाइन रिमोट एजुकेशन में बहुत फ़र्क़ है. ऑनलाइन शिक्षा अच्छी तरह से अनुसंधान के बाद अभ्यास में लाई जा रही है. बहुत से देशों में तालीम का ये माध्यम कई दशकों से इस्तेमाल किया जा रहा है
इस मामले के तमाम विशेषज्ञ जैसे कि आईआईटी बॉम्बे के प्रोफ़ेसर सहाना मूर्ति का ये मानना है कि आमने सामने की पढ़ाई से अचानक ऑनलाइन माध्यम में स्थानांतरि