Hindi, asked by awssales135, 30 days ago

कोरोना काल में शिक्षा व्यवस्था को किस प्रकार विकसित किया जा सकता है? अपने विचार दें।​

Answers

Answered by bhamaresanika2002
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Answer:

कोरोना संकट के दौर में शैक्षणिक संस्थानों के आगे जो चुनौती है उसमें ऑनलाइन एक स्वाभाविक विकल्प है. ऐसे समय में विद्यार्थियों से जुड़ना समय की ज़रूरत है, लेकिन इस व्यवस्था को कक्षाओं में आमने-सामने दी जाने वाली गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विकल्प बताना भारत के भविष्य के लिए अन्यायपूर्ण है.

शिक्षा अपने मूल में सामाजीकरण की एक प्रक्रिया है. जब-जब समाज का स्वरूप बदला शिक्षा के स्वरूप में भी परिवर्तन की बात हुई. आज कोरोना संकट के दौर में ऑनलाइन शिक्षा के जरिये शिक्षा के स्वरूप में बदलाव का प्रस्ताव नीति निर्धारकों के द्वारा पुरजोर तरीके से रखा जा रहा है.

ऐसे में यह देखना जरूरी है कि समाज की संरचना और उसके उद्देश्य में ऐसा कौन-सा मूलभूत परिवर्तन हो गया है कि इसे अवश्यंभावी बताया जा रहा है.

ऑनलाइन शिक्षा मात्र तकनीक नहीं सामाजीकरण की नई प्रक्रिया है जिसके जरिये सरकार और नीति निर्धारकों की नीति व नीयत को समझा जा सकता है और उसे उसी रूप में देखने की भी जरूरत है.

Answered by mukeshsharma4365
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Answer:

अर्थव्यवस्था और सामाजिक जीवन के अलावा कोरोना वायरस ने जिस चीज को सर्वाधिक प्रभावित किया है वह है शिक्षा व्यवस्था और पठन-पाठन। स्कूली से लेकर उच्च स्तरीय शिक्षा लगभग ठप हो गई है। हालांकि कुछ स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालयों ने जूम, गूगल क्लासरूम, माइक्रोसॉफ्ट टीम, स्काइप जैसे प्लेटफॉर्मों के साथ-साथ यूट्यूब, व्हाट्सएप आदि के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षण का विकल्प अपनाया है, जो इस संकट-काल में एकमात्र रास्ता है, लेकिन इस ऑनलाइन शिक्षा का कुछ हलकों में इस प्रकार से महिमामंडन किया जा रहा है मानो हमारी शिक्षा व्यवस्था की हर समस्या का समाधान इसमें छिपा हुआ है। क्या सचमुच ऑनलाइन शिक्षा देश की सारी शैक्षिक जरूरतों का

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