कोरोना काल : ऑनलाइन शिक्षा का सफ़र
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इस कोरोना काल में मानव कई पड़ावों से गुजर रहा है | फिर चाहे वह आर्थिक हो, सामाजिक हों या फिर राजनीतिक | किंतु एक क्षेत्र ऐसा है जिस पर कोरोना का प्रभाव एक बड़े पैमाने पर पड़ा है और वह है शिक्षा का क्षेत्र | शिक्षा के क्षेत्र में कोरोना ने ऑनलाइन शिक्षा रूपी शिक्षा की मानो एक नई पीढ़ी को जन्म दिया है, हालांकि कई देशों में इस ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था से लोग भली भाँति परिचित थे किंतु कई देशों में यह महज इंटरनेट की एक सुविधा के रूप में केवल पढ़ा जाने वाला एक शब्द था किंतु वर्तमान में यही शब्द मानो शिक्षा प्राप्त करने का एकमात्र साधन सा बन गया है | आज जहाँ हर जगह इस भीषण बीमारी के चलते लोगों का एक-दूसरे को देख पाना मुश्किल सा हो गया है एसी स्थिति में छात्रों का शिक्षकों से रूबरू होकर पढ़ पाना मानो एक स्वप्न सा ही था किंतु इस इंटरनेट की दुनिया में भी भला कोई शब्द नामुम्किन हो ऐसा तो शायद ही कभी हो और उसी का परिणाम है आज छात्रों को उपलब्ध ऑनलाइन शिक्षा जिसने शिक्षा से जुड़ी दूरियों को मानो एक उपकरण रूपी किताब जितना ही दूर रखा हो, आज जहाँ एक हाथ का फोन और उसमें इंटरनेट बस वहीं कक्षा सज जाती है | किंतु इस ऑनलाइन शिक्षा के कुछ नकारात्मक पहलू भी दिखाई पड़ते हैं :
(1) इसने मानो अमीरी गरीबी के भेद को जन्म दे दिया है, क्योंकि जिसके पास भी फोन या इंटरनेट नहीं वही इस शिक्षा को प्राप्त करने में असमर्थ सा है
(2) प्रत्यक्षता में कमी के कारण छात्रों में अनुशासन की क्षीणता भी इसकी एक कमी दिखाई पड़ती है
(3) आज जिसे इंटरनेट का सही ज्ञान है वही इसका उपयोग करने में सक्षम है इस प्रकार यह विशेषकर उन शिक्षकों में हताशा जगाती है जिन्हें अपने विषय में महारथ हासिल है किंतु आज के इस इंटरनेट के युग से अपरिचित हैं |
आज कोरोना के इस भीषण महामारी के परिणामस्वरूप पैदा ये ऑनलाइन शिक्षा छात्रों के लिए एक वरदान ही है किंतु भविष्य में इससे मिलने वाले लाभों को सबके लिए सुनिश्चित करने की आवश्यकता है साथ ही इसमें नज़र आ रही कमियों को भी दूर करने की आवश्यकता है |
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