Hindi, asked by yashwantbora, 11 days ago

कोरोना काल: स्कूल केबिना मेरा जीवन​

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Answered by мααɴѕí
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Answer:

इस वायरस से बच्चों के बीमार पड़ने का रिस्क बहुत ही कम होता है.

व्यस्कों, ख़ासकर बुज़ुर्ग लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने और इससे होने वाली जटिलताओं से जान गंवाने का ज़्यादा ख़तरा रहता है.

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रवि मलिक ने बीबीसी हिंदी को बताया, "बच्चों को ये बीमारी बहुत ज़्यादा परेशान नहीं करती है. हालांकि कुछ मामलों में ये ख़तरनाक साबित हुई है और बच्चों की मौत भी हुई है. लेकिन ऐसे मामले बहुत ही कम हैं

उन्होंने कहा कि मौटे तौर पर बच्चों के लिए इस बीमारी का "एटिट्यूड काफी प्रोटेक्टिव" रहा है. डॉ रवि मलिक के मुताबिक़, दुनियाभर में इस बीमारी की चपेट में आए लोगों में सिर्फ 2% ऐसे हैं, जो 18 साल की उम्र से कम है. उनके मुताबिक़, भारत में भी लगभग यही स्थिती है.

Answered by ΙΙïƚȥΑαɾყαɳΙΙ
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इस वायरस से बच्चों के बीमार पड़ने का रिस्क बहुत ही कम होता है.

व्यस्कों, ख़ासकर बुज़ुर्ग लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने और इससे होने वाली जटिलताओं से जान गंवाने का ज़्यादा ख़तरा रहता है.

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रवि मलिक ने बीबीसी हिंदी को बताया, "बच्चों को ये बीमारी बहुत ज़्यादा परेशान नहीं करती है. हालांकि कुछ मामलों में ये ख़तरनाक साबित हुई है और बच्चों की मौत भी हुई है. लेकिन ऐसे मामले बहुत ही कम हैं

उन्होंने कहा कि मौटे तौर पर बच्चों के लिए इस बीमारी का "एटिट्यूड काफी प्रोटेक्टिव" रहा है. डॉ रवि मलिक के मुताबिक़, दुनियाभर में इस बीमारी की चपेट में आए लोगों में सिर्फ 2% ऐसे हैं, जो 18 साल की उम्र से कम है. उनके मुताबिक़, भारत में भी लगभग यही स्थिती है.

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