कोरोना के मददगार पे अनुचेद
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कोरोना संक्रमित के कई लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत भी एक प्रमुख लक्षण माना गया है। इसका सीधा संबंध फेफड़ों से है। कोरोना के अलावा फेफड़ों के ऐसे कई रोग हैं, जिन्हें खतरनाक समझा जाता है जैसे-अस्थमा, सीओपीडी, सिस्टिक फाइब्रोसिस, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी आदि। जब फेफड़े ठीक से काम नहीं करते या इससे जुड़ी गंभीर बीमारी हो तो डॉक्टर कुछ थेरेपी करवाते हैं। ये इलाज में कारगर होती हैं। डॉक्टरी भाषा में इसी को चेस्ट फिजियोथेरेपी कहा जाता है। इसी को सीपीटी या चेस्ट पीटी भी कहते हैं।
कब दी जाती है चेस्ट फिजियोथेरेपी-
‘वर्ल्ड कंफेडरेशन फॉर फिजिकल थेरेपी’ की पत्रिका में साफ लिखा है कि कोविड-19 से निपटने के लिए क्या गाइडलाइन हैं। इसमें कहा गया कि शुरुआती लक्षणों के दिखते ही एकदम थेरेपी नहीं दी जानी चाहिए। हां, निमोनिया जैसी स्थिति से लेकर कोरोना के गंभीर मरीजों को चेस्ट फिजियोथेरेपी दी जाएगी। सांस लेने में दिक्कत होने पर चेस्ट फिजियोथेरेपी की सलाह दे सकते हैं। इस थेरेपी में एक ग्रुप होता है। इसमें पॉस्च्युरल ड्रेनेज, चेस्ट परक्यूजन, चेस्ट वाइब्रेशन, टर्निंग, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज जैसी कई थेरेपी शामिल होती हैं। इनसे फेपड़ों में जमा बलगम बाहर निकालने में मदद मिलती है
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