कोरॉना के परिवेश में टीचर्स की भूमिका
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वैश्विक महामारी CoronaVirus से निपटने के लिए शिक्षक वर्ग पिछले करीब डेढ़ माह से डटा हुआ है। गांवों स्कूलों में बनाए गए क्वॉरंटीन सेंटर शिक्षक ही संभाल रहे हैं। वहीं ग्रामीणों को सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ भी पढ़ा रहे हैं। कई शिक्षक घर-घर किए जा रहे स्वास्थ्य सर्वे में योगदान रहे हैं तो कइयों को राशन सामग्री बांटने में भी लगा रखा है। वे संस्थागत क्वॉरंटीन सेंटर और राहत शिविरों में रखे गए लोगों की निगरानी कर प्रशासन का भी पूरा कर सहयोग कर रहे हैं।
जज्बा ऐसा कि जख्म भी नहीं रोक पाए कदम
शिक्षक पूरे जज्बे से कोरोना को हराने में जुटे हुए हैं। डेंडा गांव की स्कूल के क्वॉरंटीन सेंटर पर तैनात शिक्षक ईश्वरसिंह कूरणा इसकी बानगी है। ड्यूटी पर जाने के दौरान सिंह दुर्घटना में घायल हो गए। उनके हाथ व पैरों में गंभीर चोटें आई है। शरीर पर लगे जख्म भी उन्हें कर्तव्य पालन से नहीं रोक पाए। वे नियमित रूप से क्वॉरंटीन सेंटर पर ड्यूटी दे रहे हैं। उनका कहना है कि कर्तव्य पालन के सामने दर्द का अहसास नहीं होता।
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