कार्नेलिया का गीत का काव्य सौंदर्य|
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कार्नेलिया का गीत-चन्द्रगुप्त नाटक गीत-जयशंकर प्रसाद
वहाँ कार्नेलिया के मुख से जयशंकर प्रसाद ने प्रकृति चित्रण के बहाने भारतवर्ष का यशोगान करवाया है तथा भारत देश की गौरवमयी पहचान निर्धारित की है। अरुण यह मधुमय देश हमारा! जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा। सरस तामरस गर्भ विभा पर नाच रही तरुशिखा मनोहर।
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