कोरोना महामारी का आंखों देखी घटना का वर्णन कीजिए
Answers
Explanation:
चूंकि संख्या में वे इतने ज़्यादा हैं और इतने अलग-अलग तरह के हैं कि हिंदुस्तान के लोग स्वभाविक तौर पर बँटे हुए हैं.'
ट्रेन की छत पर लदे लोगों की भीड़ और इस किताब कवर पर लिखा नाम- भारत गांधी के बाद. रामचंद्र गुहा की इस किताब का नाम, कवर फ़ोटो और ऊपर लिखी किताब की पहली लाइन 2020 के भारत का सच हो गई है.
हिंदुस्तान के लोग संख्या में इतने ज़्यादा हैं कि स्वभाविक तौर पर बँटे हुए हैं. कोरोना से लड़ाई के ज़रूरी हथियार सोशल डिस्टेंसिंग यानी 'दूरियां हैं ज़रूरी' को मानने और धज्जियां उड़ाने को मजबूर लोगों के बीच ये फ़र्क़ साफ़ महसूस होता है.
फ़ेसबुक, ट्विटर पर जब वक़्त काटने, उम्मीद जगाने के लिए कविताएँ, कहानियां सुनाई जा रही हैं. तब सड़क पर उदास कहानियां, कविताएं रची जा रही हैं. इन कविताओं को कोई कवि नहीं, वो भीड़ रच रही है जो कविता, कहानी सुनाने और अंताक्षरी खेलकर खुश होने वाली भीड़ से बहुत दूर पैदल चले जा रही है.
दिल्ली से मुरादाबाद होकर लखनऊ और फिर रायबरेली, फ़तेहपुर, कानपुर, आगरा होते हुए दिल्ली लौटने की अपनी 24 घंटे की क़रीब डेढ़ हज़ार किलोमीटर की यात्रा में मैंने लाख से ज़्यादा लोगों को सड़क पर देखा. ये उन्हीं लाचार, लॉकडाउन के शिकार लोगों की तकलीफ़ों की रत्तीभर ही आंखों देखी है.