कोरोना महामारी के दौरान आपने बहुत कुछ खोया किंतु बहुत कुछ पाया भी और सीखा भी , इसको लेकर दो नागरिकों के बीच संवाद लिखो
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Explanation:
जीवन की ऊंंचाइयों को पाने की हसरत में हम इतना मशगूल थे कि ये भूल गए थे कि जीवन में पैसा और प्रसिद्धि ही सबकुछ नहीं है। सबसे जरूरी है खुश रहना। जीवन का असली मकसद है मुस्कुराना और मुस्कुराहत बांटना।
जरा ध्यान से सोचिए सच तो यही है ना? जिस सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही है वो दरअसल अपने परिवार के करीब आने के एक बहाना है। बाहर की दुनिया को थोड़ी देर छोड़ कर अपनी घरेलू दुनिया को फिर कनेक्ट करने का वक्त है।
ये सब नया नहीं ये वो बाते हैं जो हम सब भूल गए थे। अपने घर,परिवार और दोस्तों को वक्त देना कोई नहीं बात नहीं बल्कि ये भी वो बात है जिसे हम भूल चुके थे।
खोया भी बहोत कुछ इस कोरोना ने भारत का आर्थिक तौर पर तो नुकसान किया ही है, इसका सामाजिक दुष्प्रभाव कितना है ये दिन देश के हाईवे पर देखने को मिल रहा है. कभी सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलते हुए मज़दूरों की तस्वीर सामने आ रही है, तो कभी रेल की पटरियों पर सोए मज़दूरों के ऊपर से मालगाड़ी गुजर जा रही है. कभी आम के ट्रक में छिपकर घर आ रहे मजदूर सड़क हादसे का शिकार हो जा रहे हैं, तो कभी सैकडों किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंचे इंसान को खून की उल्टी होती है और वो दम तोड़ देता है. यही कोरोना का कहर है आर्थिक तौर पर तो बहोत भारी नुकसान हुआ ह देश को