Hindi, asked by ms5064266, 2 days ago

"कोरोना महामारी "में असहाय लोगों की मदद विषय पर अनुच्छेद लिखिए​

Answers

Answered by Anonymous
0

Explanation:

भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया है. अति आवश्यक कामों को छोड़कर किसी चीज़ के लिए घर से बाहर जाने की इजाज़त नहीं दी जा रही है.

लेकिन रोज़ कमाने खाने वालों के लिए अगले 21 दिनों तक घर पर बैठना कोई विकल्प नहीं है.

बीबीसी संवाददाता विकास पांडे ने ऐसे ही लोगों की ज़िंदगियों में झांककर ये समझने की कोशिश की है कि आने वाले दिन उनके लिए क्या लेकर आने वाले हैं.

उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक चौराहा है जिसे लेबर चौक कहते हैं. सामान्य तौर पर इस जगह पर काफ़ी भीड़-भाड़ रहती है.

दिल्ली से सटे हुए इस इलाके में घर और बिल्डिंग बनाने वाले ठेकेदार मजदूर लेने आते हैं.

छोड़कर

और ये भी पढ़ें

कोरोना: मुंबई में लोगों को ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए इस शख़्स ने क्या नहीं किया

कोरोना के बढ़ते मामलों पर बोले मज़दूर 'लॉकडाउन दोबारा भीख मांगने पर मजबूर कर देगा'

कोरोना लॉकडाउन का फ़ैसला मोदी सरकार ने आख़िर किसकी सलाह पर लिया? -बीबीसी पड़ताल

कोरोना: उत्तर प्रदेश दूसरी लहर में कैसे हो गया पस्त

समाप्त

लेकिन बीते रविवार की सुबह जब मैं इस इलाके में पहुंचा तो यहां पसरा हुआ सन्नाटा देखने लायक था.

सब कुछ रुका हुआ था. बस पेड़ों की पत्तियां हिल रही थीं. चिड़ियों के चहचहाने की आवाज़ सुनाई दे रही थी.

सामान्य तौर पर ये काफ़ी शोर-शराबे वाली जगह होती है. उस दिन वहां चिड़ियों का शोर सुनना काफ़ी अजीब अनुभव था.

लेकिन मैं जब ये आवाज़ें सुन ही रहा था कि तभी मुझे एक कोने में बैठे हुए कुछ लोगों का एक झुंड दिखाई दिया.

मैंने अपनी गाड़ी रोककर उनसे एक सुरक्षित दूरी बनाकर बात करने की कोशिश की.

मैंने उनसे पूछा कि क्या वे जनता कर्फ़्यू का पालन नहीं कर रहे हैं.

मेरे इस सवाल पर उनके चेहरों पर अजीब सी प्रतिक्रियाएं थीं.

इनमें से एक शख़्स रमेश कुमार उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले के रहने वाले थे.

रमेश ने बताया कि उन्हें पता था कि "रविवार के दिन हमें काम देने के लिए कोई नहीं आएगा लेकिन हमने सोचा कि अपनी किस्मत आजमाने में क्या जाता है."

रमेश कहते हैं, "मैं हर रोज़ छह सौ रुपये कमाता हूँ. और मुझे पांच लोगों का पेट भरना होता है, अगले कुछ दिनों में ही हमारी रसद ख़त्म हो जाएगी. मुझे कोरोना वायरस के ख़तरे पता है लेकिन मैं अपने बच्चों को भूखा नहीं देख सकता."

Similar questions