कोरोना महामारी से बदला जीवन यापन पर एक निबंध 200-300 शब्दों में
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कोरोना वायरस के संक्रमण से सारा विश्व हैरान-परेशान है। इसी संदर्भ में चीन का वुहान मार्केट सबकी नजरों में आया और वायरल हुए इस मार्केट के वीडियो पर नजर ठहर गई। साथ में कैप्शन में एक लाइन आपका ध्यान खींच लेगी- 'They will eat anything' (वे कुछ भी खा लेंगे)। दिल दहला देने वाला दृश्य था। कोई इतना स्वार्थी! इतना निर्दयी! इतना क्रूर और प्रकृति का नाशुक्रा कैसे हो सकता है?
धरती, आकाश, जल कहीं भी निवास करने वाला कोई भी पशु-पक्षी, कीड़े चाहे कैसे भी नन्ही-सी जान से लेकर के बड़े से बड़ा शरीरधारी जीव। सभी वहां कट-फटकर बिकाऊ हैं। जिंदा भी अपनी मृत्यु का इंतजार कर रहे हैं पिंजरे में निरीह! बेचारे। लाचार! अपनों को जिंदा भूनते-कटते हुए देखते! कितना वीभत्स? कितना घृणास्पद?
याद आती हैं मुझे ये पंक्तियां-
धर्मराज यह भूमि किसी की, नहीं क्रीत है दासी,
हैं जन्मना समान परस्पर, इसके सभी निवासी।
सबको मुक्त प्रकाश चाहिए, सबको मुक्त समीरण,
बाधारहित विकास, मुक्त आशंकाओं से जीवन।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब कोरोना वायरस को पैनडेमिक यानी महामारी घोषित कर दिया है.
अब से पहले डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस को महामारी नहीं कहा था.
महामारी उस बीमारी को कहा जाता है जो एक ही समय दुनिया के अलग-अलग देशों में लोगों में फैल रही हो.
डब्ल्यूएचओ के अध्यक्ष डॉ. टेडरोज़ आध्यनोम गेब्रेयेसोस ने कहा है कि वो अब कोरोना वायरस के लिए महामारी शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि वायरस को लेकर निष्क्रियता चिंताजनक है.