कोरोना पीड़ित लोगों को अस्पताल में उचित सुविधाएं न मिलने के कारण हो रही असुविधाओं को दर्शाते हुए स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए
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लखनऊ के गोमती नगर में रहने वाले रिटायर्ड ज़िला जज रमेश चंद्रा और उनकी पत्नी मधु चंद्रा चार दिन पहले कोरोना संक्रमित हुए थे. गुरुवार को पत्नी की हालत बिगड़ने लगी तो रमेश चंद्रा सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए नंबरों पर फ़ोन करने लगे ताकि एंबुलेंस मिल जाए और पत्नी मधु चंद्रा को अस्पताल में भर्ती करा सकें. नंबरों पर बात ज़रूर हुई लेकिन आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला.
क़रीब तीन-चार घंटे की क़वायद के बाद पत्नी मधु चंद्रा दम तोड़ चुकी थीं.
इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने के लिए तो एंबुलेंस नहीं मिली इसलिए आगे वो उम्मीद भी छोड़ चुके थे. अब पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए उन्होंने व्यवस्था की हकीकत को बताते हुए एक भावुक पत्र अपने हाथ से लिखकर सोशल मीडिया के ज़रिए आम लोगों तक पहुंचाया. देखते ही देखते यह पत्र वायरल हो गया लेकिन लखनऊ में स्वास्थ्य विभाग और ज़िला प्रशासन की नज़रों तक नहीं पहुंच सका. तमाम अन्य लोगों के प्रयासों और घंटों इंतज़ार के बाद एंबुलेंस मिली और रमेश चंद्रा अपनी पत्नी मधु चंद्रा का अंतिम संस्कार करा सके.
रिटायर्ड ज़िला जज रमेश चंद्रा की चिट्ठी
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रिटायर्ड ज़िला जज रमेश चंद्रा की चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई
गुरुवार को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के बाहर भानु प्रताप कोरोना संक्रमित अपने छोटे भाई को भर्ती कराने के लिए संघर्ष कर रहे थे. रोते हुए भानु प्रताप बताने लगे, "परसों अपने बड़े भाई को खो चुका हूं. छोटे भाई की हालत बहुत ख़राब है. दो दिन से परेशान हूं कि अस्पताल में एक बेड मिल जाए लेकिन वेटिंग रूम से आगे तक नहीं बढ़ पाया हूं. कुछ समझ में नहीं आ रहा है क्या करूं?"
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