Hindi, asked by nazishkhan22, 4 months ago

कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की जांच और उपचार हेतु अस्पताल द्वारा किए गए प्रबंध संतोष व्यक्त करते हुए चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखिए।​

Answers

Answered by cstgamer512
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Answer:

njjwkkmskk

Explanation:

noooakmwbebehsjkmenrh

Answered by ashtekarnusrat1986
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हेलो मिस्टर प्रधानमंत्री,

राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक अस्पताल के पीडीऐट्रिक आईसीयू में काम करने वाला डॉक्टर होने के नाते, मैं आपका ध्यान ज़मीनी हालात की ओर दिलाना चाहता हूं. एन95 तो भूल जाइए, हमारे पास सामान्य मास्क तक पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं. हमें अपने गाउन 2-3 दिन तक दोबारा इस्तेमाल करने पड़ रहे हैं, जो बिना गाउन के काम करने के ही बराबर है. सभी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट की सप्लाई बहुत कम है. अगर देश की राजधानी के बीचों-बीच स्थित एक अस्पताल की हालत ये है तो हम देश के दूसरे हिस्सों के लिए क्या ही उम्मीद ही जा सकती है.

बात ये है कि अगर आप इस महामारी से निपटने में हेल्थ सिस्टम की मदद करना चाहते हैं तो 'बाल्कनी में खड़े होकर ताली बजाने' की जगह आपको उन्हें उपकरण देने चाहिए. मुझे 99% भरोसा है कि ये खुला ख़त आपतक नहीं पहुंचेगा, लेकिन फिर भी इस उम्मीद में ये ख़त लिख रहा हूं कि दूसरे डॉक्टर और आम नागरिक खड़े होकर ताली बजाने की जगह एक प्रभावी समाधान के लिए एकजुट होंगे. अगर आप स्वास्थ्य कर्मियों को वो चीज़ें नहीं दे सकते, जो उन्हें अपनी और देश की सुरक्षा के लिए चाहिए तो तालियां बजाकर उनका मज़ाक ना उड़ाएं.सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी मोदी सरकार पर सवाल उठाया कि "WHO की सलाह - वेंटिलेटर, सर्जिकल मास्क का पर्याप्त स्टाक रखने के विपरीत भारत सरकार ने 19 मार्च तक इन सभी चीजों के निर्यात की अनुमति क्यों दीं?"

डब्लूएचओ गाइडलाइन्स के मुताबिक पीपीई यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट में ग्लव्स, मेडिकल मास्क, गाउन और एन95, रेस्पिरेटर्स शामिल होते हैं.

कोरोना वायरस को लेकर हर रोज़ सरकार की तरफ़ से होने वाले संवाददाता सम्मेलन में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से सवाल पीपीई की उपलब्धता पर सवाल पूछे गए.साफ़ है कि सरकार इन आरोपों को ख़ारिज कर रही है. लेकिन सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर ऐसे तमाम दावे लगातार किए जा रहे हैं कि स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट नहीं मिल रही है.

लखनऊ के राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट में काम करने वालीं शशि सिंह का वीडियो भी सोशल मीडिया पर हज़ारों लोगों ने शेयर किया है.

इस वीडियो में वो शिकायत करती सुनी जा सकती हैं कि नर्सों को बेसिक ज़रूरी चीज़ें नहीं मिल रही हैं. "उनके पास एन95 मास्क नहीं हैं. एक प्लेन मास्क और ग्लव्स से ही मरीज़ों को देखा जा रहा है. उनका आरोप है कि पूरे उत्तर प्रदेश में यही हाल है और इस बारे में बोलने से रोका जा रहा है."आरएमएल के मेडिसिन डिपार्टमेंट के हेड और अस्पताल में कोरोना वार्ड के कन्वेनर डॉ विक्रम ने कहा कि कमी हो गई थी.

उनके मुताबिक, "लेकिन अब ऐसी कोई दिक्कत नहीं है और डॉ. शशि की शिकायत जायज़ थी और वो अब दूर की जा चुकी है."

इसे लेकर बीबीसी हिंदी ने राजकीय नर्सेस संघ, उत्तर प्रदेश के महामंत्री अशोक कुमार से संपर्क किया.

उन्होंने भी यही कहा, "प्रदेश के अस्पतालों में भर्ती मरीज़ों को दिन-रात नर्सिंग सेवाएं दी जा रही हैं. लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि ज़्यादातर नर्सेस के पास ट्रिपल लेयर मास्क, एन95 मास्क, ग्लव्स और सेनिटाइज़र उपलब्ध नहीं हैं."

अशोक कुमार ने इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योग आदित्यनाथ को चिट्ठी भी लिखी है.

हालांकि, उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप ने पत्रकार समीरात्मज मिश्र से बातचीत में कहा, "शुरुआत में ऐसा ज़रूर था और ऐसा लगता है कि देशभर में चीज़ों की कमी थी. लेकिन अब हमने स्थिति को सुधारा है. अब कोई शॉर्टेज नहीं है. और जहां भी ज़रूरत पड़ रही है, हम वहां ज़रूरी सामान पहुंचा रहे हैं."

बीबीसी ने देश के कुछ अन्य बड़े अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मियों से भी संपर्क किया और जानने की कोशिश की कि वे किन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं.

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