"कोरोना संकट में डॉक्टर का अतुलनीय योगदान हैं"
iss pankti par 100-120 sabdo ka laghu katha likhe (लघु कथा) please someone help me with this....
can some just give me the introduction part like telling good things about the doctor please
Answers
National Doctor's Day 2020: हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस (National Doctor's Day) मनाया जाता है. इसे डॉक्टरों द्वारा दिए जा रहे योगदान के लिए मनाया जाता है. हालांकि कई बार डॉक्टरों से जुड़े कुछ ऐसे किस्से सामने आते हैं जो कि मानवता को शर्मसार भी कर देते हैं. लेकिन सभी डॉक्टर एक जैसे नहीं होते यह बात भी सच है. हमारे देश में डॉक्टरों को भगवान माना जाता है. यहां तो आप आए दिन लोगों को यह कहते सुन लेगें कि डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं. यह कुछ हद तक सच भी है. क्योंकि कोरोना वायरस (Coronvirus) महामारी के दौरान हमारे डॉक्टरों ने जो काम किया है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. आज हम आपको कोरोना वायरस महामारी के दौरान दिन रात काम करने वाले डॉक्टरों (Corona warriors) व कुछ किस्सों के बारे में बताएंगे.
Explanation:
हमारी लिस्ट में अगले का नाम है डॉ. असीम गुप्ता (DR. Aseem Gupta) बता दें कि असीम गुप्ता का इसी हफ्ते कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण निधन हो गया. डॉ. असीम गुप्ता एलएनजेपी अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर व एनेस्थेलॉजिस्ट थे. उनकी ड्यूटी आईसीयू में थी. कोरोना के मरीजों की सेवा करते-करते 3 जून को डॉक्टर असीम गुप्ता भी कोरोना से संक्रमित हो गए. रविवार 28 जून को उनका निधन हो गया. उनकी पत्नी को भी कोरोना हो गया था, लेकिन अब वह ठीक हो चुकी हैं. असीम गुप्ता पर बोलते हुए मुख्यमंत्री केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा,ऐसे लोगों की वजह से ही आज हम लोग कोरोना से लड़ पा रहे हैं. डॉ. असीम गुप्ता हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा हैं और हम सभी दिल्लीवासी और देशवासी उनकी इस सेवा को नमन करते हैं. दिल्ली सरकार उनके सम्मान में उनके परिवार को 1 करोड़ रुपये की सम्मान राशि देगी." मुख्यमंत्री (Delhi CM) ने डॉ. असीम गुप्ता के सम्मान में कहा, "उनकी जान की कोई कीमत नहीं है. ऐसे लोग देश की और इंसान की सेवा करते-करते, हंसते-हंसते हमें छोड़कर चले जाते हैं, लेकिन उनके जाने के बाद यह एक छोटी सी राशि है, जो देश की तरफ से, दिल्ली के लोगों की तरफ से, उनके परिवार को दी जाएगी."
डॉक्टरों को धरती पर भगवान का रूप यूं ही नहीं कहा जाता, अपने सेवा भाव से उन्होंने इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है। कोरोना काल में जब लोग पीड़ितों को देखकर उनसे दूर भाग रहे हैं, तब यही डॉक्टर प्रेम और सेवा भाव से उनका उपचार कर रहे हैं।