कोरोना से संबंधित एक अनुच्छेद लिखें व उसमें जानकारी दें कि स्कूल वापस आने पर अपने आपको कोरोना से बचाने के लिए आप क्या उपाय करेंगे ?
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वायरस से बच्चों के बीमार पड़ने का रिस्क बहुत ही कम होता है.
व्यस्कों, ख़ासकर बुज़ुर्ग लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने और इससे होने वाली जटिलताओं से जान गंवाने का ज़्यादा ख़तरा रहता है.
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रवि मलिक ने बीबीसी हिंदी को बताया, "बच्चों को ये बीमारी बहुत ज़्यादा परेशान नहीं करती है. हालांकि कुछ मामलों में ये ख़तरनाक साबित हुई है और बच्चों की मौत भी हुई है. लेकिन ऐसे मामले बहुत ही कम हैं."
उन्होंने कहा कि मौटे तौर पर बच्चों के लिए इस बीमारी का "एटिट्यूड काफी प्रोटेक्टिव" रहा है. डॉ रवि मलिक के मुताबिक़, दुनियाभर में इस बीमारी की चपेट में आए लोगों में सिर्फ 2% ऐसे हैं, जो 18 साल की उम्र से कम है. उनके मुताबिक़, भारत में भी लगभग यही स्थिती है.
कोरोना के दौर में स्कूल खोलने के क्या ख़तरे हैं?
इमेज स्रोत, GETTY IMAGES
तो क्या स्कूल खोल सकते हैं?
इसपर डॉ रवि मलिक का कहना है कि भारत में अभी स्कूल खोलने का सही वक़्त नहीं आया है.
हालांकि वो कहते हैं कि अगर स्कूल खोलने पर विचार हो ही रहा है तो "ये इस बात पर निर्भर करता है कि भारत के किस कोने में स्कूल खुलने हैं. जहां इस वक़्त मामले कम हैं, वहां तो स्कूल खोलने के बारे में सोच सकते हैं, लेकिन दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु जैसी ज़्यादा मामलों वाली जगहों पर 1 सितंबर स्कूल खोलने के लिए बहुत जल्दी हो जाएगा."
ज़्यादातर मां-बाप भी अभी स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं हैं. हाल में लोकल सर्किल संस्था ने एक ऑनलाइन सर्वे करवाया था, जिसमें भारत के अलग-अलग हिस्सों से माता-पिता और दादा-दादी की ओर से 25 हज़ार से ज़्यादा प्रतिक्रियाएं मिलीं. 58% लोगों ने कहा कि वो नहीं चाहते, अभी स्कूल खुलें.
जब सर्वे में लोगों से पूछा गया, उन्हें क्यों लगता है कि अभी स्कूल नहीं खुलने चाहिए? 47% लोगों ने कुछ इस तरह के कारण बताए - वो अपने बच्चों को ख़तरे में नहीं डालना चाहते, बच्चे अगर घर में संक्रमण ले आएंगे तो घर के बुज़ुर्गों को गंभीर ख़तरा हो सकता है, स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग मुश्किल होगी. इसके इलावा कुछ लोगों को ये भी लगता है कि स्कूल खुलने से कोविड-19 और ज़्यादा तेज़ी से फैलेगा.
देश में हर रोज़ 60 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. इस बीच हाल में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 1 सितंबर से चरणबद्ध तरीक़े से स्कूल खुल सकते हैं. हालांकि अबतक इसके बारे में सरकार की ओर से कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है.
लेकिन अगर ऐसा कुछ फ़ैसला होता है तो इस वक़्त स्कूल खोलने के क्या ख़तरे होंगे और क्या ये कदम कोरोना वायरस के प्रकोप को और बढ़ाने का काम करेगा?
इस वायरस से बच्चों के बीमार पड़ने का रिस्क बहुत ही कम होता है.
व्यस्कों, ख़ासकर बुज़ुर्ग लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने और इससे होने वाली जटिलताओं से जान गंवाने का ज़्यादा ख़तरा रहता है.
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रवि मलिक ने बीबीसी हिंदी को बताया, "बच्चों को ये बीमारी बहुत ज़्यादा परेशान नहीं करती है. हालांकि कुछ मामलों में ये ख़तरनाक साबित हुई है और बच्चों की मौत भी हुई है. लेकिन ऐसे मामले बहुत ही कम हैं."
ज़्यादातर मां-बाप भी अभी स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं हैं. हाल में लोकल सर्किल संस्था ने एक ऑनलाइन सर्वे करवाया था, जिसमें भारत के अलग-अलग हिस्सों से माता-पिता और दादा-दादी की ओर से 25 हज़ार से ज़्यादा प्रतिक्रियाएं मिलीं. 58% लोगों ने कहा कि वो नहीं चाहते, अभी स्कूल खुलें.
जब सर्वे में लोगों से पूछा गया, उन्हें क्यों लगता है कि अभी स्कूल नहीं खुलने चाहिए? 47% लोगों ने कुछ इस तरह के कारण बताए - वो अपने बच्चों को ख़तरे में नहीं डालना चाहते, बच्चे अगर घर में संक्रमण ले आएंगे तो घर के बुज़ुर्गों को गंभीर ख़तरा हो सकता है, स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग मुश्किल होगी. इसके इलावा कुछ लोगों को ये भी लगता है कि स्कूल खुलने से कोविड-19 और ज़्यादा तेज़ी से फैलेगा.
हालांकि कुछ दिन पहले केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने स्कूल के घंटे कम करने पर विचार करने की बात कही थी, लेकिन फिर भी ज़्यादातर परिजन फिलहाल स्कूल खोले जाने के पक्ष में नहीं हैं.
दिल्ली में रहने वाली दिपा बिष्ट का एक बेटा छठीं और दूसरा पहली कक्षा में पढ़ता है. उनका कहना है कि बच्चे स्कूल जाएंगे तो उनका एक-दूसरे से मिलना, खेलना होगा ही. शिक्षक जितनी भी सख्ती से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाएं, लेकिन वो कितना मास्क पहनेंगे, कितना डिस्टेंस रखेंगे, इसे लेकर परिजन चिंतित हैं.
YALGAAR Ho !!