कोरोनावायरस बढ़ने के कारण
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नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस ( Coronavirus In India ) तेजी से अपने पैर पसार रहा है। अब तक देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 24 हजार के पार पहुंच चुकी है। जबकि 775 लोग इस घातक वायरस की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। कोरोना वायरस के लक्षणों में अब तक खांसी-जुकाम से लेकर डायरिया आदि प्रमुख रूप से शामिल थे। इन्हीं लक्षणों ( Symptoms Of Coronavirus ) के आधार पर चिकित्सक कोरोना वायरस से संक्रमित ( Corona Patient ) मरीजों के इलाज में जुटे हुए थे।
लेकिन अब डॉक्टरों के सामने भी बड़ी चुनौती सामने आ गई है, क्योंकि कई संक्रमितों में इनमें से एक भी लक्षण दिखाई नहीं दे रहा है।
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डॉक्टरों ने इन्हें साइलेंट पेशेंट ( Silent Patient ) नाम दिया है जो सबसे ज्यादा कोरोना वायरस का खतरा बढ़ा रहे हैं। चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) का दावा था कि ऐसे केस अपवाद हैं। बाद में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने शोध में बताया कि लगभग एक चौथाई कोरोना संक्रमितों में कोई लक्षण नहीं दिखाई दिया।
CDC: 80 फीसदी लोगों में नहीं दिखते लक्षण
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोध ही नहीं अब तो अमरीकी कम्यूनिटी डिजीज सेंटर (सीडीसी) का अध्ययन भी यही बताता है कि 80 फीसद लोगों में तो पहले माह में कोई लक्षण दिखा ही नहीं।
वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ( ICMR ) भी मानती है कि देश में 20 से 60 वर्ष की आयु वाले मरीजों में लक्षण कम दिखाई दे रहे हैं। जबकि 40 फीसद मामले तो कोरोना जांच के बाद ही पकड़े जा रहे हैं। यानी ये दावा सही है कि साइलेंट पेशेंट ही लोगों में तेजी से कोरोना वायरस बढ़ाने की बड़ा कारण बन रहे हैं।
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कोरोना वायरस का पैटर्न बदलने के कारण कई मामलों में संक्रमण दिखने में ही काफी समय लग रहा है। खास बात यह है कि सिर्फ छींक या खांसी से इस बीमारी के लक्षण पकड़ में नहीं आते हैं। जब तक श्वसन तंत्र का ऊपरी हिस्सा संक्रमित नहीं हो जाता तब तक वायरस को पकड़ पाना मुश्किल है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ( Oxford University ) ने शोध ( Reserch ) में दावा किया कि मार्च तक फैले संक्रमण के लिए बड़ी जिम्मेदारी साइलेंट पेशेंट की है।
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