कोरोनावायरस के कारण आपके जीवन तथा शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ा इस पर 20 लाइन लिखिए
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दुनिया भर में शिक्षा पर महामारी के पड़ते प्रभाव को मापने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने एक नया ट्रैकर जारी किया है जिसे जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, वर्ल्ड बैंक और यूनिसेफ के आपसी सहयोगी से बनाया गया है। यदि पिछले एक साल की बात करें तो कोरोना महामारी के कारण 160 करोड़ बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ा है।
यदि शिक्षा पर संकट की बात करें तो वो इस महामारी से पहले भी काफी विकट था। इस महामारी से पहले भी दुनिया भर में शिक्षा की स्थिति बहुत ज्यादा बेहतर नहीं थी। उस समय भी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल जाने योग्य 25.8 करोड़ बच्चे स्कूल से बाहर थे। वहीं निम्न और मध्यम आय वाले देशों में करीब 53 फीसदी बच्चों को शिक्षा नहीं मिल रही थी। जिसका मतलब है कि 10 वर्ष से बड़े करीब आधे बच्चे सामान्य से चीजों को लिख पढ़ नहीं सकते थे। वहीं उप-सहारा अफ्रीका में स्थिति और बदतर थी जहां यह आंकड़ा 90 फीसदी के करीब था। वहीं यदि उच्च आय वाले देशों में यह आंकड़ा 9 फीसदी था। जो स्पष्ट तौर पर शिक्षा में व्याप्त असमानता को दर्शाता है।
इस महामारी ने शिक्षा पर छाए इस संकट को और बढ़ा दिया है। जिसका असर हमारी आने वाली पीढ़ी पर लंबे समय तक रहने की संभावना है। अप्रैल 2020 में जब महामारी और उसके कारण हुए लॉकडाउन के चलते स्कूलों को बंद किया गया था तब उसका असर 94 फीसदी छात्रों पर पड़ा था, जिनकी संख्या करीब 160 करोड़ थी। अनुमान है अभी भी करीब 70 करोड़ बच्चे अपने घरों से ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके बावजूद बड़ी संख्या में बच्चे हाइब्रिड और रिमोट लर्निंग के विकल्प के बीच संघर्ष कर रहे थे, जबकि कई शिक्षा से पूरी तरह वंचित थे। दुनिया के अधिकांश देश इस तरह की अनिश्चितता का सामना कर रहे थे।
51 देशों में खुल चुकें हैं स्कूल
ऐसे में हाल ही में लांच किया गया यह टूल 200 से भी अधिक देशों और क्षेत्रों में स्कूलों को दोबारा खोलने और उनके प्रबंधन में मदद कर सकता है।
यह ट्रैकर चार प्रमुख क्षेत्रों से जुड़ी सूचनाओं को एकत्र करता और दिखाता है:
क्या है स्कूली शिक्षा की स्थिति।
सीखने के अलग-अलग तौर-तरीके इस्तेमाल हो रहे हैं जैसे घर पर शिक्षा, या स्कूल में आमने सामने और हाइब्रिड।
शिक्षा की स्थिति में सुधार के उपायों की उपलब्धता।
शिक्षकों के लिए वैक्सीन की उपलब्धता और उसकी स्थिति।
यदि ट्रैकर से प्राप्त मार्च 2021 की शुरुआत तक के आंकड़ों को देखें तो 51 देशों में स्कूल खुल चुके हैं और बच्चे आमने-सामने शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जबकि 90 से अधिक देशों में अन्य तरीकों से शिक्षा दी जा रही है। जहां कई स्कूल खुले हैं और कई अन्य तरीकों से बच्चों को शिक्षा दी जा रही है।
यूनिसेफ के चीफ ऑफ एजुकेशन रॉबर्ट जेनकिंस के अनुसार दुनिया भर में वैक्सीन देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अभी भी दुनिया के लाखों करोड़ों बच्चों इस महामारी की समस्या से ग्रस्त हैं। ऐसे में यह जरुरी है कि स्कूलों को जल्द से जल्द खोलने के प्रयास किए जाएं। साथ ही एक बार जब स्वास्थ्य कर्मियों और उच्च जोखिम वाली आबादी को टीका लगा दिया जाता है तो शिक्षकों को भी वैक्सीन देने में प्राथमिकता देनी चाहिए। जिससे हम अगली पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित कर सकें।
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