कोरोनावायरस के टैसट का क्या नाम है
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कोरोना वायरस की जांच में दो टेस्ट का नाम सबसे ज्यादा लिया जा रहा है- रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट और पीसीआर टेस्ट। इनमें सबसे बड़ा फर्क यह है कि जब किसी व्यक्ति को कोई बीमारी होती है, तो शरीर उससे लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडी बना लेता है।
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इस तरह रक्त में संबंधित एंटीबॉडी मिलने से व्यक्ति के उस बीमारी से संक्रमित होने का संकेत मिलता है। लेकिन यह अन्य बीमारियों के कारण भी हो सकता है। इसीलिये इस चरण में संक्रमण होने की आशंका वाले व्यक्ति का पीसीआर टेस्ट किया जाता है।
यह डीएनए पर आधारित विश्लेषण कर कोरोना की पुष्टि करता है, जिसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं बचती। इसे अंतिम और प्रामाणिक माना जाता है।
लक्षण
अगर किसी व्यक्ति को दमा जैसी बीमारी नहीं है और इसके बाद भी उसे सांस लेने में परेशानी का अनुभव हो रहा है, तो उसे कोरोना संक्रमण की आशंका हो सकती है। इसके अलावा अगर व्यक्ति को बुखार हो रहा है, सर्दी हो रही है या गले और फेफड़े में दर्द का अनुभव हो रहा है, तो भी उसे कोरोना संक्रमण होने की आशंका हो सकती है। ऐसे व्यक्ति को तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। लेकिन इस चरण में व्यक्ति को बिल्कुल घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि यह अन्य कारणों से भी हो सकता है।
कोरोना की जांच में निम्न चरण शामिल होते हैं- कोरोना से संबंधित एक या अधिक लक्षण पाए जाने पर व्यक्ति की निम्न स्तरों पर जांच कर संक्रमण की पुष्टि की जाती है-
स्वैब टेस्ट- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक जिस व्यक्ति में कोरोना संक्रमण की आशंका होती है, उसके गले या नाक के अंदर से कॉटन के जरिए सैंपल लेकर उसकी जांच की जाती है। सैंपल गले या नाक से इसलिए लिया जाता है क्योंकि कोरोना का वायरस इन्हीं जगहों पर सबसे ज्यादा सक्रिय होता है। ICMR के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर रमन आर गंगाखेड़कर के मुताबिक सैंपल को एक विशेष रसायन में डाला जाता है, जिसमें कोशिकाएं वायरस से अलग हो जाती हैं। व्यक्ति को किसी दूसरी बीमारी का संक्रमण हो सकता है। यही कारण है कि इस स्तर पर मिले वायरस का कोरोना वायरस के लक्षणों का मिलान किया जाता है। अगर मिले वायरस कोरोना वायरस के लक्षण वाले हुए तब व्यक्ति को कोरोना होने की पुष्टि हो जाती है।
नेजल एस्पिरेट- नाक में एक विशेष रसायन डालकर सैंपल एकत्र कर उसकी जांच की जाती है।
ट्रेशल एस्पिरेट- अब तक के अनुभव से स्पष्ट हुआ है कि कोरोना पॉजिटिव लोगों में फेफड़े में सबसे ज्यादा तकलीफ होती है। ट्रेशल एस्पिरेट टेस्ट में व्यक्ति के फेफड़ों तक ब्रोंकोस्कोप नाम की एक पतली ट्यूब डाली जाती है। ट्यूब के जरिए सैंपल एकत्र कर उसमें संक्रमण की स्थिति का पता लगाया जाता है।
सप्टम टेस्ट- फेफड़े या नाक से लिए गए सैंपल का टेस्ट सप्टम टेस्ट के रूप में जाना जाता है।
ब्लड टेस्ट- संक्रमित व्यक्ति के रक्त की भी जांच की जाती है और उसमें ऑक्सीजन की मात्रा इत्यादि की चेकिंग की जाती है।
दिल्ली को मिले 42 हजार टेस्ट किट्स
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि राजधानी को 42 हजार रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग किट्स मिल चुके हैं। अगले एक हफ्ते के दौरान दिल्ली में 42 हजार टेस्ट किए जाएंगे।