कोरोनावायरस
की दो प्रमुख टेस्ट परीक्षण के नाम लिखिए
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बुखार, सर्दी, खांसी, बदन दर्द, अत्यधिक थकान और दस्त कोरोना संक्रमण के लक्षण हैं. अगर आपके अंदर ये लक्षण हैं, तो डॉक्टर तुरंत आपको टेस्ट करवाने का सुझाव देते हैं, ये पता करने के लिए कि आप कोरोना से संक्रमित हैं या नहीं.
कोरोना संक्रमण की जांच के लिए दो प्रकार के टेस्ट होते हैं: आरटी-पीसीआर और एंटीजन टेस्ट.
लेकिन कई जगहों से शिकायतें आ रही हैं कि सभी लक्षण होने के बावजूद टेस्ट में रिज़ल्ट निगेटिव आ रहे हैं.
अब सवाल ये उठता है कि इसके पीछे क्या कारण हैं?
कैसे होते हैं टेस्ट?
दुनिया भर के डॉक्टर आरटी-पीसीआर को सबसे अच्छा टेस्ट मानते हैं.आरटी-पीसीआर का मतलब है रियल टाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन. इस टेस्ट में नाक या गले से एक नमूना (स्वाब) लिया जाता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, आरटी-पीसीआर पुष्टि कर सकता है कि कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं.
एक बार मरीज़ की नाक या गले से स्वाब लेने के बाद उसे एक तरल पदार्थ में डाला जाता है. रूई पर लगा वायरस उस पदार्थ के साथ मिल जाता है और उसमें एक्टिव रहता है.
फिर इस नमूने को टेस्ट के लिए लैब में भेजा जाता है.फ़ॉल्स निगेटिव' क्या है?
मुंबई स्थित नम्रता गौड़ (बदला हुआ नाम) को पाँच दिनों से बुखार था, लेकिन टेस्ट का परिणाम निगेटिव आया.
उनके मुताबिक़,"जब मेरे शरीर में लक्षण दिखने लगे, तो डॉक्टर ने मुझे आरटी-पीसीआर टेस्ट करने का सुझाव दिया. रिजल्ट निगेटिव आया. लेकिन बुखार और खांसी बने रहे. डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया. कुछ दिनों के बाद एक और टेस्ट में पता चला कि मैं कोरोना संक्रमित थी."
विशेषज्ञों का कहना है कि आरटी पीसीआर परीक्षण कोरोना-संक्रमण के बारे में विश्वसनीय परिणाम देता है. लेकिन, कभी-कभी ये 'फ़ॉल्स निगेटिव' भी देता है.
मुंबई के वाशी के फोर्टिस-हीरानंदानी अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन विभाग की निदेशक डॉ फराह इंगले कहती हैं, "कुछ मरीज़ों में कोविड के सभी प्राथमिक लक्षण दिखते हैं लेकिन,रिज़ल्ट निगेटिव आते हैं. मेडिकल भाषा में इसे फ़ॉल्स निगेटिव कहते हैं."
"यह ख़तरनाक हो सकता है क्योंकि इससे रोगी आज़ाद होकर घूमने लगते हैं और संक्रमण फैलाते हैं."सभी लक्षण होने के बाद भी निगेटिव रिपोर्ट के पीछे क्या कारण हैं?
डॉ. फराह इंगले के मुताबिक़ स्वाब लेने के दौरान चूक, स्वाब लेने का ग़लत तरीक़ा ,वायरस को सक्रिय रखने के लिए तरल पदार्थ की आवश्यक मात्रा में कम होना, स्वाब के नमूनों का अनुचित ट्रांसपोर्टेशन फ़ॉल्स निगेटिव आने की वजह हो सकते हैं.
कभी-कभी मरीज़ के शरीर में वायरल लोड बहुत कम होता है, इसलिए लक्षणों के बावजूद निगेटिव रिपोर्ट आ जाती है.
नवी मुंबई महानगर पालिका में एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "कोरोना एक राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) वायरस का प्रकार है. यह एक बहुत ही संवेदनशील वायरस है जो किसी भी समय वाइटैलिटी (प्राण) खो सकता है. लिहाज़ा, कोल्ड-चेन को सही तरीके से मैनेज करने की ज़रूरत है. यदि ट्रांसपोर्टेशन के दौरान वायरस सामान्य तापमान के संपर्क में आता है, तो यह अपनी वाइटैलिटी खो देता है और रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है."
जानकारों का कहना है कि कभी-कभी स्वाब के नमूने लेने वाले लोग ठीक से प्रशिक्षित नहीं होते हैं. वो स्वाब ठीक से नहीं लेते जिसके कारण ग़लत परिणाम आ जाते हैं. पानी पीने या खाने से परीक्षण के परिणाम प्रभावित होते हैं?
डॉ. इंगले कहती हैं, "अगर मरीज़ ने कोविड -19 परीक्षण से पहले पानी पीया है या कुछ खाया है, तो यह आरटी-पीसीआर के परिणाम को प्रभावित कर सकता है.
वो कहती हैं, "शरीर के कई तत्व टेस्ट पर असर डालते हैं."सरकार ने शुक्रवार (16 अप्रैल) को कहा कि आरटी-पीसीआर टेस्ट में म्यूटेड वायरस के नहीं पकड़ में आने की संभावना कम है.
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक ख़बर के मुताबिक़ केंद्रीय स्वास्थय विभाग ने कहा, "भारत में आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए इस्तेमाल की जाने वाली किट दो 'जीन' खोजने के लिए बनाई गई है. इसलिए, भले ही वायरस में परिवर्तन हो गया हो, टेस्ट पर इसका असर नहीं पड़ेगा. इस परीक्षण की सटीकता और विशिष्टता बरकरार है."
नवंबर में, राज्यसभा की संसदीय समिति ने फ़ॉल्स निगेटिव रिपोर्ट को लेकर चिंता व्यक्त की थी, जिनके लिए ख़राब किट ज़िम्मेदार थे.
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लक्षण होने पर भी रिपोर्ट निगेटिव तो क्या करें?
डॉ इंगले कहती हैं,"अगर आरटी-पीसीआर रिजल्ट निगेटिव है और फिर भी सभी लक्षण हैं, तो मरीज़ 5 से 6 दिनों के बाद फिर से टेस्ट कराना चाहिए."
फोर्टिस अस्पताल में आपातकालीन वार्ड के निदेशक डॉ. संदीप गोरे ने कहा, "यदि लक्षण होने के बाद भी टेस्ट निगेटिव है तो किसी डॉक्टर से परामर्श कर उपचार शुरू करना चाहिए, फिर से टेस्ट करना चाहिए अगर फिर भी रिपोर्ट निगेटिव है है,तो सीटी-स्कैन से महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैंफ़ॉल्स पॉज़िटिव का क्या अर्थ है?
गोरे के मुताबिक़, "अगर किसी व्यक्ति को संक्रमण नहीं है और फिर भी रिज़ल्ट पॉज़िटिव आता है, तो इसे फ़ॉल्स पॉज़िटिव करते हैं.
यदि कोई व्यक्ति कोविड से ठीक हो गया है तो मुमकिन है कि उसकी रिपोर्ट फ़ॉल्स पॉज़िटिव आ जाए. उस व्यक्ति के शरीर में निष्क्रिय कोरोना-वायरस हो सकता है. ठीक हो जाने के एक महीने के बाद तक ऐसा हो सकता है.