Hindi, asked by ankushraj2303, 7 months ago

कोरोना वायरस क्या है ? इसके रोकथाम के क्या उपाय हैं ?

इस पर एक निबंध लिखें​

Answers

Answered by deepakkumarnwd8271
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Answer:

Explanation:

* कोरोना वायरस क्या है?

कोरोना वायरस (सीओवी) का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है। इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था। डब्लूएचओ के मुताबिक बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं। अब तक इस वायरस को फैलने से रोकने वाला कोई टीका नहीं बना है।

इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है। यह वायरस दिसंबर में सबसे पहले चीन में पकड़ में आया था। इसके दूसरे देशों में पहुंच जाने की आशंका जताई जा रही है।

कोरोना से मिलते-जुलते वायरस खांसी और छींक से गिरने वाली बूंदों के ज़रिए फैलते हैं। कोरोना वायरस अब चीन में उतनी तीव्र गति से नहीं फ़ैल रहा है जितना दुनिया के अन्य देशों में फैल रहा है। कोविड 19 नाम का यह वायरस अब तक 70 से ज़्यादा देशों में फैल चुका है। कोरोना के संक्रमण के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए सावधानी बरतने की ज़रूरत है ताकि इसे फैलने से रोका जा सके।

* क्या हैं इस बीमारी के लक्षण?

कोवाइड-19 / कोरोना वायरस में पहले बुख़ार होता है। इसके बाद सूखी खांसी होती है और फिर एक हफ़्ते बाद सांस लेने में परेशानी होने लगती है।

इन लक्षणों का हमेशा मतलब यह नहीं है कि आपको कोरोना वायरस का संक्रमण है। कोरोना वायरस के गंभीर मामलों में निमोनिया, सांस लेने में बहुत ज़्यादा परेशानी, किडनी फ़ेल होना और यहां तक कि मौत भी हो सकती है। बुजुर्ग या जिन लोगों को पहले से अस्थमा, मधुमेह या हार्ट की बीमारी है उनके मामले में ख़तरा गंभीर हो सकता है। ज़ुकाम और फ्लू में के वायरसों में भी इसी तरह के लक्षण पाए जाते हैं।

* कोरोना वायरस का संक्रमण हो जाए तब?

- इस समय कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं है लेकिन इसमें बीमारी के लक्षण कम होने वाली दवाइयां दी जा सकती हैं।

- जब तक आप ठीक न हो जाएं, तब तक आप दूसरों से अलग रहें।

- कोरोना वायरस के इलाज़ के लिए वैक्सीन विकसित करने पर काम चल रहा है।

- इस साल के अंत तक इंसानों पर इसका परीक्षण कर लिया जाएगा।

- कुछ अस्पताल एंटीवायरल दवा का भी परीक्षण कर रहे हैं।

* क्या हैं इससे बचाव के उपाय?

- स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

- इनके मुताबिक हाथों को साबुन से धोना चाहिए।

- अल्‍कोहल आधारित हैंड रब का इस्‍तेमाल भी किया जा सकता है।

- खांसते और छीकते समय नाक और मुंह रूमाल या टिश्‍यू पेपर से ढंककर रखें।

- जिन व्‍यक्तियों में कोल्‍ड और फ्लू के लक्षण हों, उनसे दूरी बनाकर रखें।

- अंडे और मांस के सेवन से बचें।

- जंगली जानवरों के संपर्क में आने से बचें।

* मास्क कौन और कैसे पहनें?

- अगर आप स्वस्थ हैं तो आपको मास्क की जरूरत नहीं है।

- अगर आप किसी कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं, तो आपको मास्क पहनना होगा।

- जिन लोगों को बुखार, कफ या सांस में तकलीफ की शिकायत है, उन्हें मास्क पहनना चाहिए और तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

* मास्क पहनने का तरीका :-

- मास्क पर सामने से हाथ नहीं लगाना चाहिए।

- अगर हाथ लग जाए तो तुरंत हाथ धोना चाहिए।

- मास्क को ऐसे पहनना चाहिए कि आपकी नाक, मुंह और दाढ़ी का हिस्सा उससे ढंका रहे।

- मास्क उतारते वक्त भी मास्क की लास्टिक या फीता पकड़कर निकालना चाहिए, मास्क नहीं छूना चाहिए।

- हर रोज मास्क बदल दिया जाना चाहिए।

* कोरोना का ख़तरा कैसा करें कम, पढ़ें उपाय

- कोरोना से मिलते-जुलते वायरस खांसी और छींक से गिरने वाली बूंदों के ज़रिए फैलते हैं।

- अपने हाथ अच्छी तरह धोएं।

- खांसते या छींकते वक़्त अपना मुंह ढंक लें।

- हाथ साफ़ नहीं हो तो आंखों, नाक और मुंह को छूने बचें।

* कोरोना का संक्रमण फैलने से कैसे रोकें?

सार्वजनिक वाहन जैसे बस, ट्रेन, ऑटो या टैक्सी से यात्रा न करें।

घर में मेहमान न बुलाएं।

घर का सामान किसी और से मंगाएं।

ऑफ़िस, स्कूल या सार्वजनिक जगहों पर न जाएं।

अगर आप और भी लोगों के साथ रह रहे हैं, तो ज़्यादा सतर्कता बरतें।

अलग कमरे में रहें और साझा रसोई व बाथरूम को लगातार साफ़ करें।

14 दिनों तक ऐसा करते रहें ताकि संक्रमण का ख़तरा कम हो सके।

अगर आप संक्रमित इलाक़े से आए हैं या किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रहे हैं तो आपको अकेले रहने की सलाह दी जा सकती है। अत: घर पर रहें।

उपसंहार : लगभग 18 साल पहले सार्स वायरस से भी ऐसा ही खतरा बना था। 2002-03 में सार्स की वजह से पूरी दुनिया में 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। पूरी दुनिया में हजारों लोग इससे संक्रमित हुए थे। इसका असर आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ा था। कोरोना वायरस के बारे में अभी तक इस तरह के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि कोरोना वायरस पार्सल, चिट्टियों या खाने के ज़रिए फैलता है। कोरोना वायरस जैसे वायरस शरीर के बाहर बहुत ज़्यादा समय तक ज़िंदा नहीं रह सकते।

कोरोना वायरस को लेकर लोगों में एक अलग ही बेचैनी देखने को मिली है। मेडिकल स्टोर्स में मास्क और सैनेटाइजर की कमी हो गई है, क्योंकि लोग तेजी से इन्हें खरीदने के लिए दौड़ रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड और नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) से प्राप्त सूचना के आधार पर हम आपको कोरोना वायरस से बचाव के तरीके बता रहे हैं। एयरपोर्ट पर यात्रियों की स्क्रीनिंग हो या फिर लैब में लोगों की जांच, सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए कई तरह की तैयारी की है। इसके अलावा किसी भी तरह की अफवाह से बचने, खुद की सुरक्षा के लिए कुछ निर्देश जारी किए हैं जिससे कि कोरोना वायरस से निपटा जा सकता है।

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Answered by sharwankumarjakhar
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Answer:

कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है. पूरी दुनिया में इसे लेकर पैनिक की स्थिति देखने को मिल रही है.

हर दिन हज़ारों नए मामले सामने आ रहे हैं जबकि सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है. दुनिया भर के कई शहरों और पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति देखने को मिल रही है.

दुनिया भर में हवाई उड़ानें, अंतरराष्ट्रीय इवेंट और सालाना जलसे रद्द किए जा रहे हैं.

यूरोप इस बीमारी का नया केंद्र बनकर उभरा है जबकि लैटिन अमरीका, अमरीका और मध्य पूर्व के देशों में संक्रमण फैलने की दर प्रतिदिन बढ़ रही है.

24 मार्च तक कोरोना वायरस के संक्रमण से 16,700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 3,87,000 से ज्यादा संक्रमण देखने को मिले हैं.

हालांकि कुछ देश इस वायरस के संक्रमण के प्रसार पर अंकुश लगा पाने में कामयाब रहे हैं.

अजीब संयोग यह है कि ये वैसे देश हैं जो भौगोलिक तौर पर चीन से नजदीक स्थित एशियाई देश हैं. इस वायरस की शुरुआत चीन से ही हुई थी.

लेकिन चीन के पड़ोसी देश इस वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने में कामयाब दिख रहे हैं.

जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में महामारी रोगों के विशेषज्ञ टॉलबर्ट नेन्सवाह ने बीबीसी को बताया, "कुछ देश हैं जिन्होंने इसे फैलने पर अंकुश लगाया है, उनसे हम सबको सीखना चाहिए. मैं केवल चीन की बात नहीं कर रहा, जिसने आक्रामक तौर तरीकों से इस पर अंकुश लगाया है. हालांकि उन तौर तरीकों को लोकतांत्रिक देशों में लागू करना संभव नहीं होगा. लेकिन दूसरे देश भी हैं जिन्होंने दूसरे कारगर तरीकों का इस्तेमाल किया है."

कोरोना वायरस के संक्रमण

उदाहरण के लिए चीन के पड़ोस में 2.36 करोड़ की आबादी वाले ताइवान में 24 मार्च तक कोरोना वायरस संक्रमण के 215 मामले सामने आए थे जबकि केवल दो मौतों की पुष्टि हुई थी.

75 लाख की आबादी वाले हॉन्ग कॉन्ग में 386 मामले सामने आए हैं और दो महीनों के दौरान चार लोगों की मौत हुई है. हालांकि, बीते एक सप्ताह के दौरान यहां संक्रमण के मामले में तेज़ी आई है. अकेले 24 तारीख़ को 101 नए मामले सामने आए हैं.

12 करोड़ की आबादी वाले जापान में 24 मार्च तक 1140 मामले सामने आए हैं जबकि दक्षिण कोरिया में 9037 मामले सामने आए हैं. इन दोनों देशों में हाल के सप्ताह में संक्रमण और मौत, दोनों मामलों में कमी देखने को मिली है.

महामारी रोगों के विशेषज्ञ टॉलबर्ट नेन्सवाह के मुताबिक़, इन देशों ने कोरोना वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए कारगर प्रावधानों को तेजी से लागू किया.

जांच

इन देशों में लागू किए पांच सबसे कारगर प्रावधान ये रहे हैं -

1. जांच, जांच और फिर से जांच

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक़ इस महामारी के प्रसार को रोकने की दिशा में सबसे अहम कारक इसकी शुरुआती पहचान है.

बीबीसी ने जिन विशेषज्ञों से बात की, वे भी इसकी पुष्टि करते है. नेन्सवाह के मुताबिक, "कितने लोग संक्रमित हैं, ये जाने बिना आप ना तो इसके असर के बारे में जान सकते हैं और ना ही आप कारगर क़दम उठा सकते हैं."

अमरीका के टेंपल यूनिवर्सिटी के इपिडिमिलॉजी की प्रोफ़ेसर क्रायस जॉनसन इससे सहमत हैं. उनके मुताबिक यह सबसे ज्यादा अंतर पैदा करने वाला कारक है, जिन देशों ने जांच कराने पर जोर दिया वहां नए मामलों में कमी देखने को मिली, जिन देशों में जांच कराने पर जोर नहीं दिया गया वहां संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े.

क्रायस ने बीबीसी से बताया, "दक्षिण कोरिया ने प्रतिदिन दस हजार लोगों का परीक्षण किया, इसका मतलब यह है कि अमरीका ने पूरे महीने में जितने लोगों की जांच की, उससे ज्यादा लोगों की जांच दक्षिण कोरिया ने दो दिन में कर ली थी."

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एढॉनॉम गेब्रेयेसुस ने भी कहा है कि इस महामारी को रोकने में सबसे अहम कारक शुरुआती लक्षण वाले लोगों की जांच ही है.

उन्होंने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हम सभी देशों को यही संदेश दे रहे हैं- जांच, जांच, जांच. हर देश को सभी संदिग्ध मामलों की जांच करनी चाहिए- इससे आंख मूंदकर वे इस महामारी का सामना नहीं कर सकते."

ज़्यादातर जगहों में गंभीर लक्षण देखे जाने के बाद ही कोरोना संक्रमण की जांच की जा रही है, इसको लेकर भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक ट्रेडोस ने दुनिया भर के देशों को चेताया है. उन्होंने कहा जिनमें शुरुआती लक्षण भी पाए जाएं उनकी जांच होनी चाहिए, तभी इसके संक्रमण पर अंकुश लगाना संभव होगा.

Image copyrightGETTY IMAGESप्रतीकात्मक तस्वीर

2. संक्रमित मरीज को एकांत में रखना

प्रोफ़ेसर क्रायस जॉनसन बताती हैं, "मरीजों की पहचान, जांच और उन्हें एकांत में रखने की दिशा में दक्षिण कोरिया और चीन ने शानदार काम किया है." उनके मुताबिक जांच से संक्रमित शख्स को एकांतवास में भेजने में मदद मिलती है, साथ ही महामारी के प्रसार पर भी अंकुश लगता है. इतना ही नहीं इससे नए मामलों की जल्दी पहचान होने में भी मदद मिलती है.

क्रायस जानसन के मुताबिक चीनी अधिकारियों ने नए मामलों की पहचान के लिए अत्यधिक सक्रियता दिखाई और इसके चलते ही संक्रमण के मामलों में वहां कमी देखने को मिली है.

क्रायस जॉनसन ने बताया, "उच्च ज्वर से पीड़ित लोगों को फ़ीवर क्लीनिक भेजा गया और उनके फ्लू और कोविड-19 की जांच की गई. अगर टेस्ट में कोविड-19 पॉज़िटिव पाया गया तो उन्हें एकांतवास में रखा गया, इसे क्वारेंटाइन होटल्स कहा जाता था, ताकि वे अपने परिवार वालों के संपर्क में नहीं आ सकें."

कोरोना के वैक्सीन की तैयारी

ताइवान, सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग ने दूसरा रास्ता अपनाया- वहां संदिग्ध मरीजों को उनके घरों में भी एकांतवास में रखा गया. इस नियम को तोड़ने वालों पर तीन हज़ार डॉलर जुर्माने का प्रावधान किया गया.

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