CBSE BOARD X, asked by kingsk11, 14 days ago

कोरोना वायरस क्या मनुष्य की गलती का ही परिणाम है क्या इससे मानव जीवन का विनाश संभव है? इस विषय पर 150 शब्दों में अपने विचार प्रकट करें।​

Answers

Answered by chiggi2k03
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Answer:

आज हम सब, सामान्य जीवन यापन की उत्कंठा लिए हुए एक सांख्यिकी बन चुके हैं। यद्यपि यह वैश्विक महामारी जिसे कोविड-19 भी कहा जाता है, मानव जीवनकाल में आई पहली वैश्विक महामारी नहीं है लेकिन 21वीं सदी में आई यह वैश्विक महामारी, अब तक की आई सभी महामारियों से ज्यादा विश्व की जनसंख्या के साथ, उसकी मूलभूत समाजिक, राजनैतिक व आर्थिक संरचना में परिवर्तन लाने वाली है।

मैं जब लॉकडाउन के एकांत में कोरोना वायरस से होने वाले परिवर्तनों को लेकर आत्मचिंतन कर रहा हूँ तो उन वैश्विक महामारियों का भी स्मरण हो जा रहा है, जिनके बारे में मैंने अपने युवाकाल में पढ़ा था। उसमें सबसे कुख्यात यूरोप का ब्लैक प्लेग था, जो 14वीं शताब्दी में फैला था।

अपने संक्रमण के प्रथम दौर में इससे हुई मृत्यु ने नगरों की दो-तिहाई से तीन-चौथाई तक की आबादी साफ कर दी थी। इतिहासकारों का मत है कि इस चक्र में यूरोप में 2.5 करोड़ (अर्थात कुल आबादी का चौथाई) लोगों की मृत्यु हुई थी। इससे भारत मे सन् 1898 से 1918 के बीच 1 करोड़ लोगों की मृत्यु हुई थी।विशेषज्ञों का आकलन है कि इस महामारी में 4 से 5 करोड़ लोग मरे थे। इससे अकेले भारत मे 1.75 करोड़ लोग मरे थे, जो उस वक्त भारत की 6% जनसंख्या थी।

इसके बाद भारत में 1940 के दशक में हैजा फैला था, जिसकी भयावहता आज भी ग्रामीणांचल की स्मृतियों में है। इसके बारे में तो स्वयं अपने बुजर्गों से सुना है कि जब यह फैला था तो हर तरफ मृत्यु का नाद ही सुनाई देता था। भारत उस वक्त ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता का संघर्ष कर रहा था और ब्रिटेन द्वितीय विश्वयुद्ध में फँसा था। ऐसे में पूरा का पूरा परिवार और कहीं-कहीं गाँव के गाँव साफ हो गए थे।

इसके बाद जिस वैश्विक महामारी ने विश्व को प्रभावित किया वह एड्स/एचआईवी है, जिसका सबसे पहला प्रभाव हमारी पीढ़ी पर पड़ा था।

आशा है कि आप इस से मदद की जाएगी

 

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