कोरोना वायरस पर चर्चा करते हुए पिता-पुत्र के बीच में संवाद लेखन l
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।।कोरोना वायरस पर चर्चा करते हुये पिता-पुत्र का संवाद।।
पुत्र : पिताजी! कोरोनावायरस से हमें मुक्ति कब मिलेगी?
पिता : बेटा! कह नहीं सकते। कब मिलेगी, लेकिन शीघ्र ही मिलेगी क्योंकि दुनिया में कोरोनावायरस की दवा और वैक्सीन पर बहुत काम हो रहा हैस जल्दी ही इसका कोई ना कोई इलाज मिल ही जाएगा।
पुत्र : हाँ, पिताजी! भगवान करे, ऐसा ही हो। हम सब लोग कोरोनावायरस की महामारी से बहुत परेशान हो गए हैं। आपका काम बंद पड़ा है, मेरा स्कूल बंद पड़ा है। मैं कहीं बाहर खेलने नहीं जा सकता। अब घर में कैद रहना अच्छा नहीं लगता।
पिता : बेटा! ऐसा ना कहो। कुछ अच्छे के लिए कुछ तो त्याग क्या करना ही पड़ता है। हमें अपने जीवन को बचाना है और कोरोनावायरस की महामारी से बचना है, तो हमें इतना तो करना ही पड़ेगा। घर में थोड़ा दिन रह कर अगर हमारा जीवन सुरक्षित रहता है, तो वह बेहतर उपाय है।
पुत्र: लेकिन पिताजी ऐसा कब तक चलेगा। आज 3 महीने से ज्यादा हो गए। यह सब होते हुए।
पिता: बेटा थोड़ा सब्र और कर लो। जल्दी ही भगवान सब ठीक कर देगा।
पुत्र: हाँ पिताजी! जल्दी ही इस संकट से हम सब को मुक्ति मिल जाये और हमारा जीवन पहले जैसा हो जाये तो कितना अच्छा होगा।
पिता: हाँ बेटा! तुम्हारी बात जल्दी ही सच होगी, और सब कुछ पहले जैसा ही हो जायेगा। फिलहाल तो तुम नियमों का पालन करते रहो। समय-समय पर हाध धोते रहो। मास्क पहन कर घूमो और लोगों से दो गज की दूरी बनाकर रखो। यही इस समय सबसे बेहतर उपाय है।
पुत्र: पिताजी! मैं हमेशा इस सारी बातों का ध्यान रखता हूँ।
पिता: शाबास बेटा।
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