कीर्ति चौधरी के व्यक्तित्व के बारे में वर्णन कीजिए
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जन्म- १ जनवरी, १९३४ को उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के नईमपुर गाँव में एक कायस्थ परिवार में उनका जन्म हुआ था। कीर्ति चौधरी का मूल नाम कीर्ति बाला सिन्हा था।
शिक्षा- उन्नाव में जन्म के कुछ बरस बाद उन्होंने पढ़ाई के लिए कानपुर का रुख़ किया। १९५४ में एम॰ए॰ करने के बाद 'उपन्यास के कथानक तत्व' जैसे विषय पर उन्होंने शोध भी किया।
कार्यक्षेत्र- साहित्य उन्हें विरासत में भी मिला और फिर जीवन साथी के साथ भी साहित्य, संप्रेषण जुड़े रहे। उनके पिता ज़मींदार थे और माँ, सुमित्रा कुमारी सिन्हा जानी-मानी कवयित्री, लेखिका और गीतकार थीं। तीसरा सप्तक’ (1960) के संपादक अज्ञेय ने 60 के दशक में प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह, कुँवर नारायण, विजयदेव नारायण साही, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और मदन वात्स्यायन जैसे साहित्यकारों के साथ कीर्ति चौधरी को भी तीसरा सप्तक का हिस्सा बनाया।
निधन- १३ जून २००८ को लंदन में उनका देहांत हो गया।
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जन्म- १ जनवरी, १९३४ को उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले के नईमपुर गाँव में एक कायस्थ परिवार में उनका जन्म हुआ था। कीर्ति चौधरी का मूल नाम कीर्ति बाला सिन्हा था।
शिक्षा- उन्नाव में जन्म के कुछ बरस बाद उन्होंने पढ़ाई के लिए कानपुर का रुख़ किया। १९५४ में एम॰ए॰ करने के बाद 'उपन्यास के कथानक तत्व' जैसे विषय पर उन्होंने शोध भी किया।
कार्यक्षेत्र- साहित्य उन्हें विरासत में भी मिला और फिर जीवन साथी के साथ भी साहित्य, संप्रेषण जुड़े रहे। उनके पिता ज़मींदार थे और माँ, सुमित्रा कुमारी सिन्हा जानी-मानी कवयित्री, लेखिका और गीतकार थीं। तीसरा सप्तक’ (1960) के संपादक अज्ञेय ने 60 के दशक में प्रयाग नारायण त्रिपाठी, केदारनाथ सिंह, कुँवर नारायण, विजयदेव नारायण साही, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और मदन वात्स्यायन जैसे साहित्यकारों के साथ कीर्ति चौधरी को भी तीसरा सप्तक का हिस्सा बनाया।
निधन- १३ जून २००८ को लंदन में उनका देहांत हो गया।
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