Hindi, asked by rajeshrathod3179, 2 months ago

कार्तिक/कीर्ति पाटील, रामनगर, दापोली, जिला-रत्नागिरि से संपादक
'दैनिक रत्नागिरि' को पत्र लिखकर अपने क्षेत्र में व्याप्त गुंडागर्दी के बारे में
अखबार में प्रकाशित करने के लिए पत्र लिखता/लिखती है।

Answers

Answered by ramchandrashinde75
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Explanation:

1) हिंसा प्रधान फिल्मों को देखकर बाल मन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव की समस्या का वर्णन करते हुए किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।

424, तिलक नगर,

दिल्ली।

दिनांक 25 फरवरी, 20XX

सेवा में,

सम्पादक महोदय,

दैनिक भास्कर,

नई दिल्ली।

विषय- हिंसा प्रधान फिल्मों के बाल मन पर पड़ रहे दुष्प्रभाव की समस्या हेतु।

महोदय,

मैं आपके दैनिक समाचार-पत्र के माध्यम से सरकार और समाज का ध्यान हिंसा प्रधान फिल्मों के दुष्प्रभाव की ओर दिलाना चाहती हूँ। आजकल दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों पर हिंसा प्रधान फिल्मों का प्रदर्शन धड़ल्ले से किया जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि उन पर सरकार का कोई नियन्त्रण नहीं रह गया हैं। आज कल समाज में हो रही लूट-पाट एवं हिंसा की घटनाओं का कारण भी ये फिल्में हैं। इन फिल्मों से युवा मन जल्दी ही बुराई की ओर आकर्षित होता है।

इस पत्र के माध्यम से मैं सरकार के 'सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय' से अपील करना चाहती हूँ कि वह इस प्रकार की फिल्मों पर रोक लगाए।

धन्यवाद।

भवदीया

स्नेहा

(2) बुजुर्गो को न्याय दिलवाने एवं उनकी समस्याओं के समाधान हेतु विचार व्यक्त करते हुए किसी दैनिक समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।

ए-;ब्लॉक, लाल बाग,

दिल्ली।

दिनांक 1 अप्रैल, 20XX

सेवा में

सम्पादक महोदय,

दैनिक जागरण,

नोएडा।

विषय- बुजुर्गों की समस्या के समाधान हेतु।

महोदय,

इस पत्र के माध्यम से मैं सरकार का ध्यान बुजुर्गों की समस्या की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। दिल्ली मेट्रो रेल में महिलाओं के लिए अलग डिब्बा बनाना अच्छी बात है, परन्तु इससे महिलाओं के डिब्बे अन्य डिब्बों की तुलना में लगभग खाली रहते हैं। महिलाओं के डिब्बे में जवान महिलाएँ जो खड़ी रह सकती हैं, सीटों पर बैठती हैं, जबकि अन्य डिब्बों में ऐसे बुजुर्गों तथा विकलांग पुरुषों को खड़ा रहना पड़ता है, जो खड़े नहीं हो सकते। दूसरी ओर, जो परिवार सफ़र करता है उसके साथ की महिला तो 'महिला कोच' में चढ़ जाती है, बाकी परिवार अलग हो जाता है।

बल्कि यह होना चाहिए कि पहला डिब्बा महिलाओं का, दूसरा परिवार का हो, तथा बुजुर्ग और विकलांगों के लिए भी इन डिब्बों में कुछ सीटें रिजर्व हों। भारत सरकार ने बुजुर्गों के लिए रेल में 40% छूट दी हुई है। दिल्ली सरकार इतना तो कर सकती है कि हर बी. पी. एल. कार्ड धारक बुजुर्ग को कहीं भी जाने के लिए मेट्रो में अधिकतम किराया 10 तथा बस में अधिकतम किराया 5 तय कर दे। यदि ऐसा होता है, तब ही सही मायने में बुजुर्गो के प्रति न्याय होगा और उनकी समस्याओं का भी समाधान होगा।

धन्यवाद।

भवदीय

it's my pleasure

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