(क) 'रोटी कविता का संदेश क्या है?
Answers
Explanation:
एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ –
‘यह तीसरा आदमी कौन है ?’
मेरे देश की संसद मौन है
Sudama Pandey Dhumil
सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’
सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’ का जन्म 9 नवंबर 1936 को उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिले के खेवली में हुआ था. मात्र 39 साल की आयु में 10 फरवरी 1975 को ब्रेन ट्यूमर से उनकी मृत्यु हुई. हिंदी कविता के साठोत्तरी कविता के महत्वपूर्ण कवियों में उन्हें गिना जाता है. 1972 में आया उनका काव्य संग्रह ‘संसद से सड़क तक’ बहुत चर्चित हुआ. उनकी कविता राजनैतिक विरोध और विद्रोह की कविता है. उनके जाने के बाद उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ी है.
उनके कुल तीन काव्य संग्रह प्रकाशित हुए: ‘संसद से सड़क तक’ (1972), ‘कल सुनना मुझे’ (1974), ‘सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र’ (1984). ‘कल सुनना मुझे’ के लिये उन्हें 1979 का मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया.
डॉ. विजय शिंदे लिखते हैं: “संवादात्मक और व्यंग्यात्मक शैली में लिखी धूमिल की कविताओं का केंद्र आदमी रहा है. बार-बार कविताओं को पढ़ते आर. के. लक्ष्मण का ‘कॉमन मॅन’ नजरों के सामने आकर खडा होता है. संसद और संसद को चलाने वाली राजनीतिक व्यवस्था ‘आम आदमी’ के भलाई की बात करती है पर असल में वे अपनी ही भलाई सोचते हैं. राजनीति में प्रवेश कर चुका हर एक खद्दरधारी, टोपीधारी आम आदमी के खून को चूस रहा है. वर्तमान राजनीति में राजनेताओं के चेलों की भी एक लंबी फौज तैनात हो गई है. अर्थात् संसद (राजनीति) से जुडे प्रत्येक व्यक्ति का मूलमंत्र ‘हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे’ वाला बन चुका है. चुपचाप तुम भी खाओ और मैं भी खाता हूं का धर्म बडी ईमानदारी से निभाया जा रहा है. यह व्यवस्था चूहों के समान आम आदमी के सपनों को कुतर-कुतर खा रही है. धूमिल की कविताओं में ऐसी स्थितियों के विरोध में आक्रोश है. बार-बार आह्वान कर कवि ‘आदमी’ की कमजोरियों पर उंगली रखकर चेतित करने का प्रयास कर रहा है अर्थात् आम आदमी के सामने धूमिल की कविता जीवन सत्य उघाड़कर रख देती है.”
Answer: रोटी कविता के माध्यम से बच्चों को संस्कारिक मूल्यों की शिक्षा दी जाती है, जो उन्हें समझाती है कि खाने की वस्तु की मूल्य कीमत की नहीं होती, बल्कि उसके पीछे लगे मेहनत, समझदारी और समर्पण की होती है।
Explanation: "रोटी" एक कविता है जो बच्चों को खाने के महत्व के बारे में समझाता है। इस गीत में संदेश है कि खाने का एक नियम होता है कि अगर हमें भोजन चाहिए तो हमें पहले अपने हाथों से उसे कमाने वाले लोगों की मेहनत को समझना चाहिए। यह गीत बच्चों को यह भी सिखाता है कि भोजन के लिए धन और दूसरे साधनों का इस्तेमाल करने से पहले, वे अपनी मेहनत से रोटी की तैयारी करें। इसके अलावा, इस गीत में स्वस्थ भोजन के महत्व के बारे में भी बताया गया है।
माँगो रोटी दो न दो काट काट मर जाऊंगा यह बच्चों की आम बात होती है कि वे जब भूखे होते हैं, तो वे रोटी मांगते हैं।
इस कविता में बच्चे अपनी माँ से रोटी मांग रहे होते हैं, लेकिन वे रोटी के बारे में अनुभव नहीं रखते हैं जो उसके पीछे लगा होता है। कविता में संदेश यह है कि हमें अपने भोजन के महत्व को समझना चाहिए और हमेशा इसे समझने की कोशिश करनी चाहिए। हमें भोजन के लिए मांगने के बजाय उसकी मूल्यवान वस्तु होने के साथ-साथ, हमें उसके पीछे लगे मेहनत, समझदारी और समर्पण को भी समझना चाहिए।
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