कीर्ति रश्मियों से कवि का क्या आशय है
Answers
कीर्ति रश्मियों से कवि का आशय यश रूपी किरणों से है। कीर्ति यश का पर्यायवाची है और रश्मि किरणों का पर्यायवाची है। यहां कवि कहना चाहता है कि जो शूरवीर देश की रक्षा के लिए और अपनी मातृभूमि के सम्मान के लिए शहीद हो जाते हैं, अपना बलिदान कर देते हैं। उनकी यश रूपी किरणें पूरे वायुमंडल में फैल कर इस जगत को प्रकाशित कर देती हैं। अर्थात इन शहीदों की यशगाथा युगों-युगों तक लोगों द्वारा स्मरण की जाती है। स्वतंत्रता के रक्षक सपूतों द्वारा शुरू की गई कीर्ति-रश्मियां स्वतंत्रता प्राप्ति के मार्ग को प्रशस्त करती हैं, और अपने तेज शत्रुओं के हृदय को तेजी से नष्ट कर देती हैं।
Explanation:
यह प्रश्न हिंदी के महान कवि ‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा रचित “स्वतंत्रता पुकारती” नामक कविता से संदर्भित है। इस कविता में कवि ने मातृभूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले शूरवीरों की यश गाथा का वर्णन किया है।
स्वतंत्रता पुकारती कविता प्रस्तुत है...
हिमाद्रि तुंग शृंग से
प्रबुद्ध शुद्ध भारती–
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला
स्वतंत्रता पुकारती–
‘अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!’
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ
विकीर्ण दिव्यदाह-सी,
सपूत मातृभूमि के–
रुको न शूर साहसी!
अराति सैन्य–सिंधु में, सुवाड़वाग्नि से जलो,
प्रवीर हो, जयी बनो – बढ़े चलो, बढ़े चलो!
प्राचीन काल में भारत का अस्तित्व बड़ा गौरवान्वित था वह जगतगुरु के नाम से जाना जाता था। इसके यस की गाथाएं देश विदेशों में फैली थी। कवि इन्हीं प्राचीन असंख्य कीर्ति प्रकाश पुंज का स्मरण दिला रहा है ।
अतः कवि ने भारत के वीरो और साहसी सपूतों की विकिरण होती हुई असंख्य कीर्ति रस्मियो को ज्वलनशील अर्थात शत्रुओं को जलाने वाली माना है।