(क) रैदास ने अपने प्रभु की भक्ति किस प्रकार की है ?
(स्व रेटास के पथमपट_" अब कैसे कटे रैदासा-
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उत्तर — रैदास की भक्ति का भाव ईश्वर के प्रति समर्पित होने का रहा है। ... रैदास ने प्रभु से अपना संबंध दीपक-बाती, मोती-धागा, वन-मोर, स्वामी-दास की तरह भी निरूपित किया जहाँ प्रभु दीपक हैं, मोती हैं, वन हैं, स्वामी हैं और भक्त रैदास दीपक की बाती, मोती का धागा, वन का मोर और स्वामी का दास है।
उत्तर —रैदास द्वारा रचित ‘अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी’ में अपने आराध्य के नाम की रट की आदत न छोड़ पाने के माध्यम से कवि ने अपनी अटूट एवं अनन्य भक्ति भावना प्रकट की है। इसके अलावा उसने चंदन-पानी, दीपक-बाती आदि अनेक उदाहरणों द्वारा उनका सान्निध्य पाने तथा अपने स्वामी के प्रति दास्य भक्ति की स्वीकारोक्ति की है।
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