Hindi, asked by kookee, 10 months ago

‘क्रोध अंधा होता है' का पल्ल्वन कीजिए ।
'चिन्ता चिता समान है' का पल्लवन कीजिए ।

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Answered by shishir303
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“पल्लवन हिंदी गद्य की वो विधा है जिसमें किसी विषय वस्तु को एक अलग दृष्टिकोण से प्रस्तुत कर उसका एक विस्तृत रूप से विवेचन किया जाता है। वो विषय वस्तु कोई मुहावरा, लोकोक्ति या कोई सामयिक घटना भी हो सकती है।”

‘क्रोध अंधा होता है’ का पल्लवन —

क्रोध अंधा होता है, क्रोध की या तो आँख नही होती या क्रोध हमारी आँखों पर पर्दा डाल देता है। जब हम क्रोध के आवेग में होते हैं तो हमारा दिमाग संकुचित हो जाता है और हम अच्छे-बुरे या उचित-अनुचित का भेद नही कर पाते। हमें सही गलत का फर्क दिखना बंद हो जाता है इसीलिये कहते हैं कि क्रोध अंधा होता है।

शर्मा जी को बात-बात पर क्रोध आने की आदत थी। एक बार उनका अपनी पत्नी से किसी बात पर झगड़ा हो गया तो क्रोध में आकर अपने हाथ में जो मोबाइल था वो अपनी पत्नी को दे मारा। पत्नी ने सिर झुकाकर खुद को बचा लिया, लेकिन वो मोबाइल पीछे दीवार पर लगे टीवी की स्क्रीन पर लगा। टीवी भी टूटा और मोबाइल भी टूटा। शर्मा जी ने क्रोध में किसका नुकसान किया ? स्वयं का ही ना! लेकिन किसका नुकसान होगा ये देखने फुरसत उनके पास कहाँ थी, क्योंकि क्रोध ने तो उनकी आँखों पर परदा डाल रखा था, इसीलिये कहते हैं कि क्रोध अंधा होता है।

‘चिंता चिता के समान है’ का पल्लवन —

चिंता और चिता में बस एक बिंदु का ही अंतर है, यही सूक्ष्म सा अंतर हमें मृत्यु की ओर ले जाता है। चिंता नकारात्मकता का प्रतीक है और चिता उस नकारात्मकता की अंतिम परिणति है। इस अंतिम परिणति को काल कहते हैं जो चिता के रूप में हमारे सामने आती है। अतः यदि नकारात्मकता की इस अंतिम परिणति अर्थात काल के पास नही जाना है तो हमें उस मार्ग पर भी नही चलना होगा जिसे चिंता कहते हैं। चिंता हमारे शरीर को खोखला कर देती है जिसके कारण हम असमय काल-कवलित हो सकते हैं।

घर में सयानी बेटी थी, बाप का साया कर से उठ गया था। माँ को अपनी बेटी की चिंता खाये जा रही थी कि उसकी क्या होगा। इसी चिंता में माँ दिन-ब-दिन चिंतित रहती और इसी चिंता ने उसे बीमार बना दिया और उसने शीघ्र ही चारपाई पकड़ ली। कहते हैं कि चिंता ही चिता को राह दिखाती है।

Answered by monikasahu2730
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Answer:

Krodh Andha Hota Hai ka Pallavan

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