Hindi, asked by 14320080408, 3 months ago

क्रोध के करन मनुष्य अपने आप मे नही रह्ता है रं लक्ष्मण परशुराम संवाद कविता के अधर पर इस कथन की पुष्टि किजिए?​

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Answered by aryan15912
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Answer:

प्रश्न 11. “सामाजिक जीवन में क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है। यदि क्रोध न हो, तो मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत-से कष्टों की चिर-निवृत्ति का उपाय ही न कर सके।” आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का यह कथन इस बात को पुष्टि करता है कि क्रोध हमेशा नकारात्मक भाव के लिए नहीं होता, बल्कि कभी-कभी सकारात्मक भी होता है

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