क्रोध किस रस का स्थायी भाव है?
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रौद्र रस
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रौद्र रस का स्थायीभाव 'क्रोध' है। विरोधी पक्ष द्वारा किसी मनुष्य, देश, समाज और धर्म का अपकार अथवा अपमान करने के उसके प्रतिशोध में जो क्रोध का भाव पैदा होता है वही रौद्र रस के रूप में अभिव्यक्त होता है।
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रस का शाब्दिक अर्थ है – आनंद। काव्य को आनंदित करने वाला भाग रस ही कहलाता है।
Explanation:
रस नौ प्रकार के होते है–
- श्रृंगार रस का स्थाई भाव रति
- हास्य रस का स्थाई भाव हास
- करुण रस का स्थाई भाव शोक
- वीर रस का स्थाई भाव उत्साह
- अद्भुत रस का स्थाई भाव विस्मय
- रौद्र रस का स्थाई भाव क्रोध
- भयानक रस का स्थाई भाव भय
- वीभत्स रस का स्थाई भाव जुगुप्ता
- शांत रस का स्थाई भाव निर्वेद
- वात्सल्य रस का स्थाई भाव रति
- भक्ति रस का स्थाई भाव अनुराग
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