क्रिया के कितने भेद होते हैं
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क्रिया के कितने भेद होते हैं?
क्रिया के कितने भेद होते हैं?
कर्म, जाति तथा रचना के आधार पर क्रिया के मुख्य रूप से दो भेद हैं :-
1. अकर्मक क्रिया
2. सकर्मक क्रिया
1. अकर्मक क्रिया :-
अकर्मक क्रिया से तात्पर्य है -कर्म के बिना । जिन क्रियाओं को कर्म की जरूरत नहीं पड़ती उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं अथार्त जिन क्रियाओं का फल कर्ता को मिलता है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं ।
जैसे :- रोना, तैरना , सोना , ठहरना, मरना, चलता , दौड़ना, डरना , बैठना, आदि।
उदहारण :-
(१) राम खेलता है ।
(२) बच्चा रोता है ।
(३) चिड़िया उड़ती है।
2. सकर्मक क्रिया :-
सकर्मक क्रिया से तात्पर्य है- कर्म के साथ | जिस क्रिया का प्रभाव कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़े , उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे :- खाना, पढ़ना, काटना, लिखना आदि।
उदहारण :-
(१) वह लकड़ी काटता है।
(२) सीता रोटी पकाती है ।
(३) रीता खाना खा रही है।
संरचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के चार भेद होते हैं :-
१) प्रेरणार्थक क्रिया : जिस क्रिया से यह ज्ञात हो कि कर्ता स्वयं काम ना करके किसी और से काम करा रहा हो, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं । जैसे- बोलवाना, लिखवाना आदि।
२) नामधातु क्रिया : ऐसी धातु जो क्रिया को छोड़कर किन्ही अन्य शब्दों जैसे संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि से बनती है, वह नामधातु क्रिया कहते हैं। जैसे - अपनाना, बतियाना आदि।
३) सयुंक्त क्रिया : ऐसी क्रिया जो किन्ही दो क्रियाओं के मिलने से बनती है, वह सयुंक्त क्रिया कहलाती है। जैसे- पढ़ लिया, बोल दिया, खा लिया आदि ।
४) कृदंत क्रिया : जब किसी क्रिया में प्रत्यय जोड़कर उसका नया क्रिया रूप बनाया जाए, तब वह क्रिया कृदंत क्रिया कहलाती है। जैसे -दौड़ता, भागता आदि।
प्रयोग के आधार पर क्रिया के भेद -
१. पूर्वकालिक क्रिया
२. सामान्य क्रिया
३. यौगिक क्रिया
४. तात्कालिक क्रिया
५. सहायक क्रिया
६. सजातीय क्रिया
७. विधि क्रिया
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