कार्य का महत्त्व और उसकी सद ुं रता उसके समर् पर सुंपाददत ककए जाने पर ही है। अत्र्ुंत
स घड़ता सेककर्ा ह आ कार्य भी र्दद आवश्र्कता के अन सार और समर् के पूवय न पूरा हो सके
तो उसका ककर्ा जाना ननष्फल ही होगा। चिडड़र्ों द्वारा खेत ि ग ललए जाने पर र्दद रखवाला
उसकी स रक्षा की व्र्वस्था करे तो सवयत्र उपहास का पात्र ही बनेगा। उसके देर से ककए गए
उद्र्म का कोई मूल्र् नहीुं होगा। श्रम का गौरव तभी हैजब उसका लाभ ककसी को लमल सके ।
इसी कारण र्दद बादलों द्वारा बरसार्ा गर्ा जल कृषक की फ़सल को फलने-फूलने में मदद
नहीुं कर सकता तो उसका बरसना व्र्थय ही है। अवसर का सदप र्ोग न करने वाले व्र्क्तत को
इसी कारण पश्िाताप करना पड़ता है।
(क) कायि का महत्ि और उसकी स ांदरिा ककसमेंहै?
(i) उचित समर् पर सुंपाददत ककए जाने पर।
(ii) उचित समर् पर सुंपाददत नहीुं ककए जाने पर।
(iii) समर् व्र्थय व्र्तीत करने पर।
(iv) समर् पर काम न करने पर है।
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(i) उचित समर् पर सुंपाददत ककए जाने पर।
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