कार्य-कुशलता का पहला अंग तो ये है कि हम अपने कार्य को समय से निर्धारित कर उसे अच्छी
तरह जानें। हम लोगों में अधिकतर लोग कार्य उठा तो लेते हैं, पर उसे अच्छी तरह जानते नहीं और
न जानने का यत्न ही करते हैं जब सफलता नहीं मिलती तो अपने को दोष न देकर हम दुसरे को
दोष देते हैं,अपना हृदय कलुषित करते हैं,और बार-बार कार्य बदलते हुए बड़े संताप में जीवन व्यतीत
करते हैं। छोटे बड़े सभी कामो में ये देखा जाता है। हम लोगों में से अधिकतर लोग जो काम करते
हैं उसकी एक-एक तफसील पर ध्यान नहीं देते और न उसमें पुर तौर से योग्यता और निपुणता प्राप्त
करने का यत्न करते हैं। इसी से हमारा काम पूरा नहीं होता,और हम स्वयं उनके काम को अपने काम
से ज्यादा पसंद करने लगते हैं ।यदि हम लोग अपने-अपने कम के एक-एक अंग को अच्छी तरह
समझें और उसमें प्रवीण होने का सदा ख्याल रखें तो हम अपनी और अपने काम, दोनों की बहुत-
कुछ वृद्धि और उन्नति कर सकते हैं । कार्य-कुशलता छोटे और बड़े का भेद नही जानती |
1. कार्य- कुशलता का पहला अंग क्या है ?
2 लोग प्राय: बार-बार अपना कार्य क्यों बदलते रहते है ?
3. इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए
4.कार्य-कुशलता क्या नही जानती ?
5. 'इत' प्रत्यय वाले दो शब्द छंट कर लिखो
6. सफलता' और 'योग्यता का विलोम शब्द है.
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1.कार्य- कुशलता का पहला अंगसमय से निर्धारित कर उसे अच्छी
तरह जानें।
2.लोग प्राय: बार-बार अपना कार्य बदलते रहते जब सफलता नहीं मिलती
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