क्रियाकलाप : पाठ सपनों के से दिन के नायक पीटी सर के चरित्र एवं स्वभाव के बारे में पढ़कर बताइए कि क्या आपके स्कूल में अथवा आपके किसी मित्र के स्कूल में भी ऐसे कोई अध्यापक हैं। क्या आप सोचते हैं कि उनके द्वारा किया जाने वाला व्यवहार कहीं ना कहीं छात्रों के हित में है यह हित में है। क्या छात्र बिना सख्ती किए अपना कार्य करते हुए अनुशासन में रह सकते हैं। अपने उत्तर की पुष्टि करते हुए कम से कम 100 शब्द लिख inappropriate answers will be reported
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‘सपनों के से दिन’ पाठ के पीटी सर प्रीतमचंद का चरित्र-चित्रण...
पीटी सर प्रीतमचंद दिखने में दुबले-पतले और नाटे कद के थे। उनकी आँखें भूरे रंग की थीं। वेशभूषा के रूप मेंहमेशा खाकी वर्दी और लंबे जूते पहनते थे। वे बहुत अनुशासन प्रिय शिक्षक थे और छात्रों को गलती करने पर हमेशा कठोर दंड देते थे। वे स्वभाव से अत्यंत कठोर थे और बच्चों के प्रति उनके मन में दया का भाव बिल्कुल भी ना था। छात्रों के बाल खींचना, उनकी ठुड्डी पर मारना और उनके गाल खींचना पीटी सर की आदतों में शुमार था। हालांकि वे स्वाभिमानी भी थे। जब प्रधानाचार्य ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया तो उन्होंने प्रधानाचार्य की खुशामद नहीं की और चुपचाप चले गए। वे पढ़ाने में कुशल थे और बच्चों को पूरी तन्मयता से पढ़ाते थे, लेकिन बच्चों के प्रति कठोर व्यवहार भी करते थे।
‘सपनों के से दिन’ पाठ में पीटी सर द्वारा विद्यार्थियों को अनुशासित करने की युक्तियां आज के समय में स्वीकृत मान्यताओं के अनुसार बिल्कुल भी उचित नहीं है। आजकल की मान्यता के अनुसार विद्यार्थियों को शारीरिक यातना देकर नहीं सुधारा जा सकता बल्कि उन्हें प्रेम एवं स्नेह से अनुशासित किया जा सकता है। विद्यार्थियों से अगर सही तरीके से बात की जाए तो वे आसानी से कोई बात सीख सकते हैं। शारीरिक यातना से कोई बात न तो वे सीख सकते हैं ना ही वह बात उनके दिमाग में बैठती है। शारीरिक यातना के भय से विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति सहज रुचि नहीं जागती। प्रेम एवं स्नेह से पढ़ाई के प्रति रुचि जगती है। पूर्व समय के विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों की अमानवीय तरीके से पिटाई चल जाती थी लेकिन आजकल के विद्यालयों में ऐसा नहीं होता। आजकल शिक्षक विद्यार्थियों को शारीरिक यातना नहीं दे सकते। इसलिए पीटी सर द्वारा विद्यार्थियों को अनुशासित करने की युक्तियां आजकल के समय में अनुचित हैं।
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