क्रिया प्रतिक्रिया का निमम लिखिए तथा इसकी व्याख्या
किजिए
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न्यूटन के गति नियम तीन भौतिक नियम हैं जो चिरसम्मत यांत्रिकी के आधार हैं। ये नियम किसी वस्तु पर लगने वाले बल और उससे उत्पन्न उस वस्तु की गति के बीच सम्बन्ध बताते हैं। इन्हें तीन सदियों में अनेक प्रकार से व्यक्त किया गया है।[1] न्यूटन के गति के तीनों नियम, पारम्परिक रूप से, संक्षेप में निम्नलिखित हैं-
प्रथम नियम: प्रत्येक पिण्ड तब तक अपनी विरामावस्था में अथवा सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में रहता है जब तक कोई बाह्य बल उसे अन्यथा व्यवहार करने के लिए विवश नहीं करता। इसे जड़त्व का नियम भी कहा जाता है।
Explanation:
द्वितीय नियम: किसी भी पिंड की संवेग परिवर्तन की दर लगाये गये बल के समानुपाती होती है और उसकी (संवेग परिवर्तन की) दिशा वही होती है जो बल की है।
f=mv-mu/t =m(v-u)/t=ma
f=mv-mu/t
f=m(v-u)/t
F = ma
f:-बल (न्यूटन or केजी x मीटर/सेक x सेक),m:-वजन,a:-त्वरण
तृतीय नियम: प्रत्येक क्रिया की सदैव बराबर एवं विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है।
सबसे पहले न्यूटन ने इन्हे अपने ग्रन्थ फिलासफी नेचुरालिस प्रिंसिपिआ मैथेमेटिका (सन १६८७) में संकलित किया था।[5] न्यूटन ने अनेक स्थानों पर भौतिक वस्तुओं की गति से सम्बन्धित समस्याओं की व्याख्या में इनका प्रयोग किया था। अपने ग्रन्थ के तृतीय भाग में न्यूटन ने दर्शाया कि गति के ये तीनों नियम और उनके सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम सम्मिलित रूप से केप्लर के आकाशीय पिण्डों की गति से सम्बन्धित नियम की व्याख्या करने में समर्थ हैं।
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Explanation:
न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार
हमारा लक्ष्य
दो स्प्रिंग तुलाओं का उपयोग करके गति का तृतीय नियम सीखना ।
सिद्धांत
न्यूटन के गति का तृतीय नियम : ‘प्रत्येक क्रिया के समान एवं विपरीत प्रतिक्रिया होती है। ‘
यह सोचना ज़रूरी है कि क्रिया और प्रतिक्रिया हर समय दो अलग वस्तुओं पर लागू होती है। गति का तृतीय नियम यह इंगित करता है की जब एक वस्तु किसी दुसरे वास्तु पर बल का प्रयोग करता है, तत्क्षण ही वह दूसरा वस्तु पहले वस्तु पर वापस बल लगाता है। प्रयोग किए गए दोनों बल परिमाण में बराबर होते है , पर दिशा में विपरीत।