क्रियाविशेषण के भेद ओं की पहचान किस प्रकार की जा सकती है
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स्थानवाचक:
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के संपादित होने के स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
जैसे- यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर आदि।
उदाहरण-
श्रेया गोस्वामी वहाँ चल रही है। इस वाक्य में "वहाँ" चल क्रिया के व्यापार-स्थान का बोध करा रही है।
कालवाचक:
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने का समय बताते हैं, उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
जैसे- परसों, पहले, पीछे, कभी, अब तक, अभी-अभी, बार-बार।
परिमाणवाचक:
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के परिमाण अथवा निश्चित संख्या का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
जैसे- बहुत, अधिक,अधिकाधिक पूर्णतया, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, काफ़ी, केवल, यथेष्ट, इतना, उतना, कितना, थोड़ा-थोड़ा, लगभग, तिल-तिल, एक-एक करके, पर्याप्त;आदि।
रीतिवाचक
जो शब्द किसी क्रिया के करने के तरीके/रीति का बोध कराए, वह रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहलाते है।
जैसे धीरे–धीरे,जल्दी,रोज,अचानक आदि