कार्यपालिका के भिन्न रूपों या उत्तर कारों का वर्णन करें
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साधारण अर्थ में कानूनों का क्रियान्वयन करने वाली संस्था कार्यपालिका कहलाती है। आज इसका अर्थ सीमित और व्यापक दोनों अर्थों में किया जाता है। आधुनिक राज्यों के कल्याणकारी स्वरूप ने कार्यपालिका के साथ नौकरशाही को भी मिला दिया है। सीमित अर्थ में तो राज्य के प्रधान तथा उसके मन्त्रीमण्डल को ही कार्यपालिका कहा जाता है। व्यापक अर्थ में कार्यपालिका के अन्तर्गत नीति को अमली जामा पहनाने वाले प्रशासकीय अंग भी शामिल हो जाते हैं। कार्यपालिका को कुछ विद्वानों ने सीमित और व्यापक दोनों अर्थों में निम्न प्रकार से परिभाषित किया है :-
- मेक्रिडीस के अनुसार - “राजनीतिक कार्यपालिका, राजनीतिक समाज के शासन के लिए औपचारिक उत्तरदायित्व निभाने वाली संस्थागत व्यवस्थाएं हैं।”
- गिलक्राइस्ट के अनुसार -”कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो कानून के रूप में अभिव्यक्त जनता की इच्छा को कार्य में परिणत करती है। यह वह धुरी भी है जिसके चारों ओर राज्य का वास्तविक प्रशासन घूमता है।”
- लाल पालोम्बारा के अनुसार -”कार्यपालिका से आशय मुख्य कार्यपालक, विभागों के अध्यक्ष तथा सरकारी सोपान में उच्चतम स्तर के सार्वजनिक प्रशासकों से है। इसमें वे व्यक्ति, सिविल कर्मचारी तथा अन्य लोग जो मुख्य कार्यपालक की मदद के लिए भर्ती किए जाते हैं, शामिल होते हैं।”
- गार्नर के अनुसार- “व्यापक तथा सामूहिक अर्थ में कार्यपालिका के अन्तर्गत वे सभी अधिकारी, राज्य कर्मचारी तथा एजेन्सियां आ जाती हैं जिनका कार्य राज्य की इच्छा को, जिसे विधानमण्डल ने प्रकट कानून का रूप दे दिया है, कार्य रूप में परिणत करना है।”
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