कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच परस्पर विरोधी दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए उदाहरण सहित!
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व्यवस्थापिका समाज की परिस्थितियों एवं नागरिकों की आवश्यकता के अनुसार कानून बनाती है, उनमें संशोधन करती है अथवा निरस्त करती है।
यह विभिन्न माध्यमों से कार्यपालिका पर प्रत्यक्ष रूप से नियन्त्रण रखती है।
यह केन्द्रीय वित्त पर पूर्ण नियन्त्रण रखती है। इसकी अनुमति के बिना कार्यपालिका किसी भी प्रकार का कोई व्यय नहीं कर सकती है तथा न ही जनता पर कोई कर लगा सकती है।
यह राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं न्यायाधीशों के विरुद्ध लाए गए यह महाभियोग प्रस्तावों पर सुनवाई कर उन्हें अपने पद से हटा सकती है।
अनेक देशों में व्यवस्थापिकाएँ निर्वाचन सम्बन्धी कार्य भी करती हैं, जैसे- भारत में राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति को निर्वाचन आदि।
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