कार्यपत्रक-7
कक्षा-5
विद्यार्थी का नाम:
दिनांक :
अधिगम क्षेत्र
अधिगम बिंदु
• पढ़ना, पढ़कर समझना एवं व्यावहारिक व्याकरण ।
: विभिन्न उद्देश्यों के लिए विराम चिह्नों का उचित स्थान पर प्रयोग कर पाना ।
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान से पढ़कर उसमें उचित विराम चिह्न लगाइए -
अब कौन आया भिश्ती सुनो वह क्या कह रहा है भिश्ती फ़ैजाबाद का पानी है गुलाब
का वह पानी का छिड़काव कर रहा है वह भी चला गया
2. नीचे दिए गए विराम चिह्नों के नाम के सामने बॉक्स में विराम चिह्न का प्रतीक
बनाइए-
1.
प्रश्नवाचक चिह्न
?
2.
अल्प विराम चिह्न
3.
पूर्ण विराम चिह्न
4.
उद्धरण चिह्न
5.
योजक चिह्न
शिक्षक की टिप्पणी :
हस्ताक्षर
7
Answers
Answer:
2) नीचे दिए गए विराम चिह्नों के नाम के सामने बॉक्स में विराम चिह्न का प्रतीक
बनाइए-
(I) प्रश्नवाचक चिह्न (?) – इस चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में, अनिश्चय या संदेह प्रकट करने के लिए संदेह स्थल पर कोष्ठक में किया जाता है; जैसे –
•सुमन, तुम कब आई?
•क्या कहा, वह परिश्रमी है?
•वह क्या पढ़ता है, क्या लिखता है, क्या याद करता है, यह मुझसे क्यों पूछ रहे हो?
(II) अल्प विराम (,) – वाक्य के मध्य में अर्ध विराम से भी कम समय तक रुकने के लिए किया जाता है; जैसे –
•राम, मोहन, श्याम और उदय यहाँ आएँगे।
•हाँ, मैं यह चित्र बना लूँगा।
•नहीं, तुम अभी अंदर नहीं आ सकते हो।
•सरकार बदल जाने से, मैं समझता हूँ, कुछ बदलाव होगा।
•मि. शर्मा एम.ए., बी.एड., पी.एच.डी. हैं।
•सुभाषचंद्र बोस ने कहा, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।”
•चलो, चलो जल्दी चलो, ट्रेन आ गई है।
•हमारा देश 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ।
•इस व्यक्ति के लिए लाभ और हानि, यश और अपयश बराबर हैं।
•सवेरा हुआ, पक्षी बोलने लगे।
•वह काम, जिसे आपने बताया था, मैंने कर दिया था।
•यहाँ आओ, सुमन, मेरी बात तो सुनो।
•पूज्या माता जी, भवदीया आदि।
(III) पूर्ण विराम (।) – इस चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक और विस्मयवाचक वाक्यों को छोड़कर प्रायः सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में किया जाता है; जैसे –
•अध्यापक छात्रों को पढ़ाते हैं।
•माली पौधों की देखभाल करता है।
•हमें अपने आस-पास हरा-भरा बनाए रखना चाहिए।
•कभी-कभी अप्रत्यक्ष प्रश्न के अंत में भी पूर्ण विराम लगाया जाता है; जैसे –
•अच्छा अब बताओ कि तुम्हें क्या चाहिए।
•कुछ देर पहले यहाँ कौन आया था।
(IV) उद्धरण चिह्न (‘…..’, “…”) – इस चिह्न का प्रयोग किसी कथन को मूल रूप में लिखने, पुस्तक या कथन का मूल अंश उद्धृत करने व्यक्ति, पुस्तक, उपनाम आदि के लिए किया है।
इसके दो भेद हैं
(क) इकहरा उद्धारण चिह्न (……….’)
•इस कविता के रचयिता रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।
•‘रामचरित मानस’ तुलसीदास की विश्व प्रसिद्ध कृति है।
(V) योजक या विभाजक चिह्न (-) – इस चिह्न का प्रयोग सामासिक शब्दों, सा, सी, से आदि से पूर्व, शब्द युग्मों, द्वित्व शब्दों, पूर्णांक से कम संख्या भाग बताने के लिए किया जाता है –
•सुख-दुख, आगमन प्रस्थान, जीवन-मरण, यश-अपयश।
•हिरनी-सी आँखें, मोती-से अक्षर, फूल-सा बच्चा।
•उठते-बैठते, सोते जागते, हँसते-हँसते, पढ़ते-पढ़ते।
•एक-तिहाई, तीन-दसवाँ, एक-चौथाई।