कौरबो ने पांडवों को कायर क्यों समझा
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भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म का साथ दिया। इसीलिए इसे धर्मयुद्ध कहा गया। अब सवाल यह उठता है कि कौरव पक्ष में गुरु द्रोणाचार्य और भीष्म जैसे ज्ञानी-ध्यानी कई महारथी लोग थे फिर भी उनके पक्ष को अधर्मी कहा गया। ऐसा क्यों? दरअसल, जो सत्य का साथ देता है उसे धर्मी और जो असत्य का साथ देता है उसे अधर्मी कहा जाता है।
कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी तथा पांडवों ने 7 अक्षौहिणी सेना थी। कौरवों के पास सैन्य बल ज्यादा होने के बाद भी वे जीत नहीं सके। आओ जानते हैं कि कौरव पक्ष में ऐसा क्या था किसके कारण उन्हें अधर्मी घोषित कर दिया गया था? इससे पहले जा लें कि किस पक्ष में कौन-कौन था।
*कौरवों की ओर से : कौरवों की ओर से दुर्योधन व उसके 99 भाइयों सहित भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा, मद्रनरेश शल्य (श्रीराम की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए), भूरिश्रवा, अलम्बुष, कृतवर्मा कलिंगराज श्