कारखाने आदि सभी कुछ पर्यावरण के अंतर्गत ही आते हैं। आज पर्यावरण की सबसे बड़ी समस्या इसके दूषित होने
की है कल-कारखानों से उठता धुआँ, नगरों में बढ़ती भीड़ तथा यातायात के साधनों की लगातार बढ़ती हुई संख्या
इसे प्रदूषित करती जा रही है। इसे प्रदूषित करने वाले कोई और नहीं, बल्कि हम ही हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण
प्रहार किया और आज स्थिति यह है कि हम स्वयं साँस लेने में कतराते हैं। बढ़ते हुए जल, भूमि और ध्वनि प्रदूषण
अपठित गद्यांश
हमारे आसपास जो कुछ भी है, वह पर्यावरण कहलाता है। वायुमंडल, वृक्ष, नदी-नाले, आसमान, बाग-बगीचे, सड़के
हमारी ज़रूरतों में भी निरंतर बढ़ोतरी होती गई है। उन ज़रूरतों को पूरा करने के लिए हमने सीधा पर्यावरण पर
ने हमारे जीवन को खतरों से भर दिया है। लगातार बढ़ने वाले इस पर्यावरण के प्रदूषण को दूर करना होगा। इसे
दूर करने के प्रयास भी हमें करने हैं। हमें चाहिए कि ज़्यादा-से-ज़्यादा वृक्ष लगाकर हम वायु को शुद्ध करने में
अपना योगदान दें। पर्यावरण में धूल-धुएँ की मात्रा को कम करने के लिए हमें वाहनों के प्रयोग पर रोक लगानी होगी
तथा जल की शुद्धता के लिए लोगों में जागृति लानी होगी, ताकि वे नदियों में कूड़ा-करकट तथा रसायन न डाले
इस प्रकार हम अपने पर्यावरण की सुरक्षा ही नहीं करेंगे वरन प्रकृति को सुंदर बनाने में भी अपना योगदान देंगे। iska shirshak kya hai
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