केरल में शिशु मृत्यु दर कम क्यों है
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शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के मामले में केरल ने शानदार प्रदर्शन दिखाया है। प्रति एक हजार शिशुओं (एक साल से कम) पर मृत्यु दर केरल में 6 तक सिमट आई है। शिशु मृत्यु दर के मामले में केरल ने अमेरिका और विकसित देशों के औसत की बराबरी कर ली है। नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) 2015-16 के आंकड़ों में यह तस्वीर सामने आई है।
केरल की इस सफलता को अगर राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो यह काफी बड़ी बात है। फिलहाल देश में औसत शिशु मृत्यु दर 1000 पर 41 है। अगर देश का औसत केरल के बराबर यानी 6 हो जाए तो हर साल हम 7 लाख बच्चों को बचा पाएंगे। ऐसा नहीं है कि केरल ने एक दिन में तस्वीर बदल दी है।
केरल पिछले दशक से ही शिशु मृत्यु दर को सिंगल डिजिट पर लाने के लिए कोशिश कर रहा है। 2009 में केरल में शिशु मृत्यु दर 12 थी। पिछले एनएफएचएस (2005-06) में केरल में शिशु मृत्यु दर 15 थी। केरल का शिशु मृत्यु दर रूस (8), चीन (9), श्रीलंका (8) और ब्राजील (15) जैसे देशों के मुकाबले भी बेहतर हो गया है।
भारतीय राज्यों की बात करें तो केरल सबसे काफी आगे खड़ा नजर आता है। कम शिशु मृत्यु दर के मामले में केरल के सबसे नजदीकी राज्य तमिलनाडु है। ऐसी स्थिति में भी तमिलनाडु में शिशु मृत्यु दर 21 है।
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