कारतूस' और 'कर चले हम फ़िदा' पाठ के केंद्रीय भाव एक ही है ? सिद्ध कीजिए.
Pls answer
Answers
Answer:
Summary - पाठ सार
प्रस्तुत कविता में देश के सैनिकों की भावनाओं का वर्णन है। सैनिक कभी भी देश के मानसम्मान को बचाने से पीछे नहीं हटेगा। फिर चाहे उसे अपनी जान से ही हाथ क्यों ना गवाना पड़े। भारत - चीन युद्ध के दौरान सैनिकों को गोलियाँ लगने के कारण उनकी साँसें रुकने वाली थी ,ठण्ड के कारण उनकी नाड़ियों में खून जम रहा था परन्तु उन्होंने किसी चीज़ की परवाह न करते हुए दुश्मनों का बहदुरी से मुकाबला किया और दुश्मनों को आगे नहीं बढ़ने दिया। सैनिक गर्व से कहते है कि हमें अपने सर भी कटवाने पड़े तो हम ख़ुशी ख़ुशी कटवा देंगे पर हमारे गौरव के प्रतिक हिमालय को नहीं झुकने देंगे अर्थात हिमालय पर दुश्मनों के कदम नहीं पड़ने देंगे। लेकिन देश के लिए प्राण न्योछावर करने की ख़ुशी कभी कभी किसी किसी को ही मिल पाती है अर्थात सैनिक देश पर मर मिटने का एक भी मौका नई खोना चाहते। जिस तरह से दुल्हन को लाल जोड़े में सजाया जाता है उसी तरह सैनिकों ने भी अपने प्राणों का बलिदान दे कर धरती को खून से लाल कर दिया है सैनिक कहते हैं कि हम तो देश के लिए बलिदान दे रहे हैं परन्तु हमारे बाद भी ये सिलसिला चलते रहना चाहिए। जब भी जरुरत हो तो इसी तरह देश की रक्षा के लिए एकजुट होकर आगे आना चाहिए। सैनिक अपने देश की धरती को सीता के आँचल की तरह मानते हैं और कहते हैं कि अगर कोई हाथ आँचल को छूने के लिए आगे बड़े तो उसे तोड़ दो। अपने वतन की रक्षा के लिए तुम ही राम हो और तुम ही लक्ष्मण हो अब इस देश की रक्षा का दायित्व तुम पर है।
Answer:
Explanation:
यह कहानी 'कारतूस' एक व्यक्ति वजीर अली पर आधारित है। इसमे वजीर अली के साहसी कारनामो का वर्णन किया गया है। वजीर अली जो कि अवध के नवाब आसिफ़उद्दौला का पुत्र था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने वजीर अली का राज्य उसके चाचा को सौंप दिया और उसे राज्य से वंचित कर दिया था। इसकी वजह वह अंग्रेजों का दुश्मन बन गया। तभी से वह अंग्रेज़ों को अपने देश से बाहर निकलना चाहता था। वजीर अली एक साहसी और निडर व्यक्ति था। उसने अकेले ही अंग्रेज़ों के खेमे में जाकर कारतूस प्राप्त कर लिया था।