किसी आंखों देखी दुर्घटना का चित्रण कीजिए जिसमें दुर्घटना का कारण दुर्घटना स्थल का दृश्य और आपके अनुभव के लिखिए|
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Explanation:
दुर्घटना जैसी भी हो, कष्टदायक एवं क्षतिकारक होती है । इसलिए हर कोई इससे बचना चाहता है, लेकिन न चाहते हुए भी हमें कभी-कभी दुर्घटना का सामना करना ही पड़ता है । एक बार दिल्ली में मैं भी दुर्घटना ग्रस्त होने से बाल-बाल बचा, किन्तु उस समय पहली बार मैंने किसी दुर्घटना को नजदीक से देखा था ।
वह फरवरी माह का दूसरा शनिवार था । सुबह के करीब नौ बज रहे थे मैं बस से अपने ऑफिस जा रहा था । बस ने जैसे ही धौलाकुआँ के पुल को पार किया, अचानक एक बाइक बस के सामने आ गई । बस ड्राइवर ने भरपूर शक्ति के साथ ब्रेक पर पाँव जमा दिए ।
अचानक लगे इस ब्रेक से बस के अधिकतर यात्री मानो अपनी सीट से उछल पड़े । जो यात्री खड़े थे, उनमें से कई नीचे गिरते-गिरते बचे । मेरा सिर सामने की सीट से टकराते-टकराते बचा था । सौभाग्यवश किसी को गहरी चोट नहीं आई ।
बस के रुकने के बाद पता चला कि बस से बाइक बुरी तरह टकरा गई थी । बस का तो एक कोना क्षतिग्रस्त हुआ था, किन्तु इस टक्कर से बाइक चूर-चूर हो गई थी । बाइक पर दो युवक सवार थे । बे दोनों छिटक कर काफी दूर जा गिरे थे। कुछ बस यात्री उतरकर उनकी ओर दौड़े । वे दोनों बुरी तरह घायल थे । लोग उन्हें अस्पताल ले जाने की बात करने लगे । टक्कर से हुई क्षति से बस आगे जाने लायक नहीं रह गई थी ।
इसलिए बस यात्री दूसरी बसों में सवार होकर अपने-अपने गन्तव्य को चले गए । कोई भी घायलों को अस्पताल ले जाने को तैयार नहीं हो रहा था । उस समय मुझे अहसास हुआ कि दुनिया कितनी स्वार्थी हो गई है ।
यहाँ दो लोगों की जान पर आ पड़ी है और सबको समय पर ऑफिस जाने की चिन्ता सता रही है ! कुछ लोग तो पुलिस के पचड़े में पड़ने के डर से उन दोनों घायलों के समीप भी नहीं गए । उन दोनों को काफी चोट आई थी । उनके शरीर से खून निकल रहा था ।
एक की हालत तो कुछ ठीक भी थी, लेकिन दूसरा बिलकुल बेहोश था । जिसकी हालत थोड़ी ठीक थी बह थोड़ा चल-फिर सकता था । उसने अपने घरवालों को फोन पर इस दुर्घटना की सूचना दी । उसका घर गुड़गाँव में था ।
जब तक उसके घरवाले आते, तब तक कुछ भी हो सकता था । उनके घरवालों के आने से पहले जितनी जल्दी हो सके उन्हें अस्पताल पहुँचाना जरूरी था । मैंने पास खड़े एक व्यक्ति को साथ देने के लिए कहा । वह तैयार हो गया ।
सबसे पहले मैंने एम्बुलेंस बुलाने के लिए सफदरजंग ट्रॉमा सेण्टर फोन किया तथा पुलिस को भी सूचित कर दिया । दस मिनट के भीतर ही एम्बुलेंस आ गई । धौलाकुआँ से सफदरजंग ट्रॉमा सेण्टर पहुँचने में हमें मुश्किल से पन्द्रह मिनट लगे ।
दोनों को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया । इसके बाद वहाँ पुलिस भी आ गई । मैंने पुलिस को विस्तार से घटना के बारे में बताया । अस्पताल में मैं करीब दो घण्टे तक रहा । इसके बाद दोनों घायल युवकों के घरवाले वहाँ आ गए ।
उनमें से एक ने उनकी बाइक के बारे में मुझसे पूछा । मुझे उनके इस सवाल पर आश्चर्य हुआ । उनका परिजन यहाँ जिन्दगी और मौत से जूझ रहा है और उनको अपनी बाइक की पड़ी है । पुलिस ने सूचना दी कि बाइक धौलाकुआँ थाना पहुँच चुकी है ।
कुछ आवश्यक कार्रवाई के बाद बह उन्हें सौंप दी जाएगी । मैं वहाँ से चलने ही वाला था कि नर्स ने हम सबको बताया कि दोनों युवकों की हालत अब ठीक है और उनमें से एक जो बेहोश था, उसको भी होश आ गया है । दोनों के सही-सलामत होने की खबर सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा ।
मैंने जब नर्स से पूछा कि दोनों कब तक बिलकुल ठीक हो जाएंगे, तो उसने बताया कि बे दोनों एक महीने के भीतर बिलकुल स्वस्थ हो जाएंगे । इतना जानने के बाद मैं बही से चलने को तैयार हो गया ।
तभी दोनों युवकों के अभिभावकों को मेरे और मेरे साथ आए व्यक्ति के बारे में पता चला कि हमने ही उनके परिजनों को अस्पताल पहुँचाने में मदद की थी । वे हमारे पास आए और उन्होंने हमारा आभार मानते हुए हमें आशीर्वाद दिया । मैंने सिर्फ इतना ही कहा कि यह तो मेरा फर्ज था ।
इसके बाद मैं ऑफिस के लिए चल पड़ा । ऑफिस आते हुए मैं यही सोच रहा था कि मानव जितनी तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है, उतनी ही तेजी से उसमें मानवीय गुणों का ह्रास भी होता जा रहा है । मानवता के बिना जीवन का क्या मूल्य रह जाएगा ?
लोगों को कब यह बात समझ आएगी ? कोई पुलिस के डर से किसी की मदद करने के लिए तैयार नहीं होता, तो किसी के पास काम में व्यस्त होने का बहाना होता है । यदि हमारे आस-पास के लोग दुखी हैं, तो हमें जीवन में कैसे आनन्द प्राप्त हो सकता है ।
लोग भौतिकवादी होते जा रहे हैं यह तो मुझे पता था, लेकिन भौतिकवादी होने के साथ-साथ अत्यन्त स्वार्थी भी होते जा रहे हैं, इसकी खबर मुझे नहीं थी । इस दुर्घटना ने मुझे मानव का असली चेहरा दिखा दिया । यदि ऑफिस देर से पहुँचने का कारण किसी व्यक्ति की जान बचाना रहे, तो ऐसी देरी में क्या बुराई है ।
वैसेवैसे दुनिया में हर पल हर समय आंखों देखी बहुत सारी गढ दुर्घटनाएं होती रहती है परंतु एक समय ऐसा भी आता है जब घटनाओं से दुनिया तबाह हो सकती है बहुत सारी ऐसी घटनाएं होती हैं जिनके खिलाफ सब कंप्लीट नहीं करवाती लेकिन आगे चलकर बहुत बड़े विनाश का कारण भी बन जाती है।कई बार ट्रक वाले अपने लंबी उछाल की वजह से अपने सामने कुछ लोग को नहीं देख पाते हैं उसके खिलाफ छोटे-छोटे एक्सीडेंट हो जाते हैं जिसकी वजह से वह बहुत बड़ी एक्सीडेंट होते हैं लेकिन सबने छोटे करा देते यह बहुत ही गलत बात है इसके कारण बहुत लोगों की जिंदगियां चली जाती है बहुत लोग बर्बाद हो जाते हैं कुछ तो कब का ही सो जाते हैं हम लोगों को इसके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए।