किसी ऐक घरेलू उद्योग के बारे मे लिखो
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can i write about candles
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मोमबत्ती उत्पादन एक ऐसा काम है, जिसे घर बैठ कर घरेलू उद्योग की तरह भी किया जा सकता है और बड़े स्तर पर फैक्टरी लगा कर भी। लेकिन किसी भी तरह का काम शुरू करने से पहले मोमबत्ती उत्पादन का प्रशिक्षण लेना जरूरी है।रंग-बिरंगी और खूबसूरत मोमबत्तियां अपनी सुंदरता और झिलमिल रोशनी से हर किसी का दिल जीत लेती हैं। यही वजह है कि मोमबत्ती उद्योग ग्रामीण स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना चुका है। इस क्षेत्र में स्वरोजगार की संभावनाओं का तेजी से विकास हो रहा है। आप भी इससे जुड़ कर अपना करियर बना सकते हैं। यह करियर दो रूपों में बनाया जा सकता है- एक किसी मोमबत्ती उद्योग में नौकरी करके और दूसरा खुद का व्यवसाय शुरू करके।
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भारत के आर्थिक पुनर्निर्माण हेतु घरेलू उद्योग धन्धों का बड़ा महत्व है। इनसे बेकारी की समस्या सुगमता से हल हो सकती है, उत्पादन शक्ति का स्थानीय तथा प्रादेशिक वितरण सुगमता से हो सकता है और जन साधारण को आर्थिक स्वावलम्बन प्राप्त हो सकता है।
डॉ॰ राधाकमल मुखर्जी ने भारत के घरेलू उद्योग धन्धों के विषय में एक बड़ी महत्वपूर्ण पुस्तक लिखी है। उसी के आधार पर कुछ उपयोगी सामग्री यहाँ प्रस्तुत की जा रही है। इस पुस्तक में भारत के घरेलू उद्योग धन्धों की एक विस्तृत तालिका दी गई है। जैसे कुछ उपयोगी कार्य इस प्रकार हैं।
“कानपुर, प्रयाग तथा बनारस के जिलों में टोकरी बनाना मालाबार तथा दक्षिणी-पूर्वी बंगाल में नारियल की जटा काटना, लालटेन की बत्तियाँ बनाना और चटाइयाँ तैयार करना, आसाम में रेशम के कीड़ों को पालना, यू.पी. में खिलौने बनाने का काम, अमृतसर, बनारस व मिर्जापुर में दरियाँ बुनने का काम, रेशम बुनना, ढाका में शंख की चूड़ियाँ, सीपी के बटन, यू.पी. मिर्जापुर, तथा बंगाल में सुन्दर कलापूर्ण मिट्टी की वस्तुएं बनाना, मद्रास के तिनेवली में लुँगी तथा साड़ियां बनाना, फिरोजाबाद में काँच की चूड़ियों का काम।”
पंजाब में बहुत सी वस्तुएं घर पर तैयार की जाती हैं। मुल्तान और अमृतसर में मोजे, दरियाँ, नाले, होजरी, चर्खा कातना, आसन बनाना, सींकों की सुन्दर टोकरियाँ, शीतल पाटियाँ, खद्दर बुनना इत्यादि तैयार होती हैं। प्रत्येक परिवार को अपनी दिलचस्पी के अनुकूल कुछ न कुछ ढूँढ़ कर प्रारम्भ करना चाहिए।
समस्त घरेलू धन्धों में कपड़े वाला वर्ग महत्वपूर्ण है। रुई काँतकर दरियाँ, इजारबन्द, खद्दर बनाना चाहिए। स्त्रियाँ चाहें, तो घर पर दर्जी का कार्य भी सफलता पूर्वक सम्पन्न कर सकती है। हाथ का कागज बनाना भी अच्छा धन्धा है। जीवन में स्त्रियाँ घर पर अनेक काम किया करती हैं। शिल्पकारी, ऊन के मोजे, बनियान बुनना, बेलबूटे, कढ़ाई, रंगाई का कार्य प्रत्येक प्रतिभा सम्पन्न परिश्रमी स्त्री कर सकती है। अलीगढ़ में तालों, बनारस में बेलबूटों का काम, मुरादाबाद में कलई के बरतनों का काम तेजी से उन्नति कर रहा है। इस सब में सरकार को भी हाथ बटाना उचित है।
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